घर का फर्श भी बन सकता हैं आपकी बर्बादी का कारण, इन खास बातों का रखें ध्यान

वास्तु के अनुसार घर से जुडी हर चीज का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता हैं। घर की फर्श का भी वास्तु से गहरा संबंध माना जाता हैं। फर्श किस प्रकार का होना चाहिए यह जानना भी जरूरी है अन्यथा यह आपके जीवन पर दुष्‍प्रभाव ही डालेगा। फर्श और टाइल्स घर में सोच-समझकर ही लगाई जानी चाहिए। आज हम आपके लिए इससे जुडी जानकारी लेकर आए हैं जो आपके बड़े काम आएगी। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

- इसके अलावा यदि आपके घर के उत्तर-ईशान के भाग का फर्श पश्चिम-वायव्य के फर्श से लगभग 1 फीट नीचा है और वायव्य की तुलना में नैऋत्य कोण 1 फीट और अधिक नीचा है तो नुकसानदायक है।

- मकान के अंदर का दक्षिण-नैऋत्य का भाग उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा की तुलना में नीचा है, मकान के पूर्व-ईशान में लगभग डेढ़ फीट ऊंचा शौचालय है, घर में बाहर से ऊपर जाने के लिए उत्तर दिशा में पश्चिम-वायव्य से सीढ़ियां बनी हुई हैं तो नुकसान दायक है।

- इसके अलावा घर के अंदर से भी दुकान में आने-जाने के लिए आग्नेय कोण में सीढ़िया हैं, इसी के सामने पश्चिम नैऋत्य में एक द्वार घर के अंदर जाने के लिए बना है तो यह भी नुकसानदायक है। उपरोक्त सभी महत्वपूर्ण वास्तुदोष मिलकर भयंकर तरह की दुखद घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं।

- फर्श का रंग भी किसी वास्तुशास्त्र से पूछकर ही तय करें। किसी भी दिशा में गलत रंग के पत्थर का फर्श ना बनवाए। उत्तर में काले, उत्तर-पूर्व में आसमानी, पूर्व में गहरे हरे, आग्नेय में बैंगनी, दक्षिण में लाल, नैऋत्य में गुलाबी, पश्चिम में सफेद और वायव्य में ग्रे रंग के फर्श होना चाहिए। यदि आप अलग अलग रंग के पत्थर नहीं लगवाना चाहते हैं तो आप सभी कमरों में गहरे हरे या फिर पीले रंग का फर्श लगवा सकते हैं, पीले में पिताम्बर उत्तम है।