सीढियों से जुड़े वास्तु टिप्स जो पंहुचा सकतें है आपको लाभ

वास्तुशास्त्र का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व हैं। अगर घर वास्तु के अनुरूप हो तो जिंदगी में व्यर्थ की परेशानियीं से बचा जा सकता हैं। लेकिन घर बनाते समय वास्तु से सम्बंधित सबसे ज्यादा गलतियां होती हैं सीढियां बनाते समय। जी सीढियां ऊपर लेकर जाती हैं वो निचे भी लाती हैं। अगर सीढियों में वास्तुदोष होता हैं तो इंसान की जिंदगी में सीढियों की तरह ही उतार-चढ़ाव चलता रहता हैं। इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आये हैं सीढियों से जुड़े वास्तु टिप्स जो आपके जीवन के लिए लाभदायक रहें। तो आये जानते हैं इन वास्तु टिप्स के बारे में।

* ज्यादातर वास्तु विशेषज्ञ दक्षिण, पश्चिम या फिर दक्षिण-पश्चिम दिशा को ही सीढ़ियों के निर्माण के लिए सही मानते हैं। इसके अलावा इस बात का ध्यान रखें की सीढ़ियों को कभी भी उत्तर दिशा में ना बनाएं। इसके साथ ही सीढ़ियों के लिए उत्तर-पूर्व दिशा भी ठीक नहीं है। लेकिन यदि आप सीढ़ियों के निर्माण के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा का चयन करते हैं तो यह फिर भी सही माना जाता है।

* सीढ़ी के लिए नैऋत्य यानी दक्षिण पश्चिम दिशा उत्तम होती है। इस दिशा में सीढ़ी होने पर घर प्रगति ओर अग्रसर रहता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर पूर्व यानी ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दिशा में सीढ़ी का होना अवनति का प्रतीक माना गया है। दक्षिण पूर्व में सीढ़ियों का होना भी वास्तु के अनुसार नुकसानदेय होता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य उतार-चढ़ाव बना रहता है।

* जो लोग खुद ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं और किरायेदारों को ऊपरी मंजिल पर रखते हैं उन्हें मुख्य द्वार के सामने सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। वास्तु विज्ञान के अनुसार इससे किरायेदार दिनोदिन उन्नति करते और मालिक मालिक की परेशानी बढ़ती रहती है।

* यदि सीढ़ियां घुमावदार बनानी हैं तो, उनका सदैव पूर्व से दक्षिण, दक्षिण से पश्चिम, पश्चिम से उत्तर और उत्तर से पूर्व की ओर रखना लाभप्रद रहता है। इसका मतलब है कि चढ़ते समय सीढ़ियां हमेशा दायीं ओर मुड़नी चाहिए।

* वास्तु के अनुसार घर की सीढ़ियों में फालतू सामान या जूते चप्पल न रखें। इससे घर में दोष नही आता है। वास्तु के अनुसार कभी भी घर की सीढ़ियों के नीचे फालतू सामान रखें तो घर की सीढियों के शुरू या अंत में कोई गेट बनवाएं।

* घर के अन्दर की सीढ़ियां मुख्यद्वार के ठीक सामने नहीं होनी चाहिए। यानी मुख्य द्वार खोलते ही सबसे पहले सीढ़ियां न हों। सीढ़ियां यदि घर के बाहर भी तो भी उन्हें प्रवेश द्वार के सामने से नहीं गुजरना चाहिए।

* सीढियों में संख्या का भी ध्यान रखना चाहिए। सीढ़ियां हमेशा विषम संख्या 3, 5,7,9,11,13, 15 ऐसे होनी चाहिए।

* घर के बीचो-बीच सीढ़ियां न बनवाएं। वास्तु के अनुसार केन्द्र या ब्रह्मस्थान में सीढ़ियां घर के सदस्यों के बीच का मेलभाव बिगाड़ती है। सदस्यों में मानसिक तनाव देखा जाता है।

* यदि घर बनवाते समय सीढ़ियों से संबंधित कोई वास्तु दोष रह गया हो तो उस स्थान पर बारिश का पानी मिट्टी के कलश में भरकर तथा मिट्टी के ढक्कन से ढककर जमीन के नीचे दबा दें। ऐसा करने से सीढ़ियों संबंधी वास्तु दोषों का नाश होता है। यदि यह उपाय करना भी संभव न हो तो घर में प्रत्येक प्रकार के वास्तु दोषों को दूर करने के लिए घर की छत पर एक म्टिटी के बर्तन में सतनाजा तथा दूसरे बर्तन में जल भरकर पक्षियों के लिए रखें ।