हिन्दू धर्म में श्रावण मास का बड़ा महत्व माना गया हैं और इस महीने में किये गए उपायों का असर भी भरपूर होता हैं। इसलिए सावन के महीने को ज्योतिषीय उपायों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं। माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव खुद धरती पर आते हैं। इसलिए ही इस महीने किए गए उपायों का महत्व ओर बढ़ जाता हैं। वास्तु के अनुसार भी सावन के इस महीने में किए गए कुछ उपाय आपके जीवन में खुशियाँ भर सकते हैं। जी हाँ, वास्तु के इन उपायों को करने से घर के सदस्यों को भगवान शिव की उपासना का विशेष फल प्राप्त होता है। तो आइये जानते हैं इन वास्तु उपायों के बारे में।
* पूर्व दिशा के लिए उपाय सावन के महीने में पूर्व दिशा का विशेष महत्व होता है। घर के पूर्व कोने में कोई छोटा सा जल स्रोत रखकर आप इस दिशा को ऊर्जांन्वित कर सकते हैं। इसके लिए आप छोटे से कृत्रिम वाटर फाउंटेन का प्रयोग कर सकते हैं।
* अर्द्धनारीश्वर स्वरूप है अति विशेष वास्तु के अनुसार पूर्व दिशा में भगवान की प्रतिमा स्थापित करने के मंगलकारी परिणाम होते हैं। सावन के महीने में आप घर की इस दिशा में भगवान शिव के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप की प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं। हो सके तो यह सफेद संगमरमर के एक पत्थर की बनी हो तो अधिक शुभ मानी जाएगी। उस घर में पति-पत्नी के संबंधों में भी मधुरता बनी रहती है।
* तुलसी का पौधा इस दिशा में लगाएं घर में तुलसी स्थापित करने के लिए सावन का महीना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। उत्तर दिशा में मिट्टी के गमले में तुलसी का पौधा लगाएं। इससे न केवल घर का वातावरण शुद्ध होता है बल्कि पूर्वजों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। कुंवारी कन्याएं यदि अपने हाथ से तुलसी लगाएं तो उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है।
* रुद्राक्ष धारण करें सावन के महीने में रुद्राक्ष को धारण करने का भी विशेष महत्व होता है। यह न केवल ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को दूर करता है बल्कि व्यक्ति के मन को शांति और सुकून भी देता है। अच्छी सेहत और सौभाग्य के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना सर्वश्रेष्ठ होता है।
* शिव को प्रिय है धतूरा भगवान शिव को धतूरा अतिप्रिय है, इसलिए इसका प्रयोग उनकी पूजा में किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति भयमुक्त होता है और उसके जीवन में समस्याओं का निवारण शीघ्र हो जाता है। सावन के महीने में आप घर के बाहर धतूरे का पेड़ लगा सकते हैं।
* उपवास और पूजा-पाठ सावन में उपवास रखने सा फिर एक वक्त भोजन करने की भी विशेष मान्यता है। ऐसा करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और आध्यात्म में रुचि बढ़ती है।