हर किसी को अपना घर प्यारा होता है और यही एक जगह हैं जहां सुकून के पल बिताए जा सकते हैं। लेकिन ये सुकून के पल तब छिन जाते हैं जब घर में नकारात्मकता का संचार होने लगता हैं। ऐसे में आपको चाहिए कि घर में सभी चीजें वास्तु सम्मत की जाए और जीवन में सकारात्मकता लाई जाए। इसके लिए घर में रंगों का बड़ा महत्व होता हैं जो जीवन में खुशियों के रंग भरने में मदद करते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि वास्तु के अनुसार कौनसे रंग उपयोग में लाए जाए जो सुखद बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।
बेडरूम का रंग नीला
रंग ऊर्जा के संचारक होते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार यह आपके सोचने-समझने की क्षमता पर भी प्रभाव डालते हैं। यही वजह है मास्टर बेडरूम का रंग नीला करवाना चाहिए। यह व्यक्ति को सुखी और स्वस्थ रखता है।
गेस्ट रूम में हमेशा सफेद रंग
वास्तुशास्त्र के अनुसार गेस्ट रूम में हमेशा सफेद रंग ही पेंट करवाना चाहिए। यह रंग पवित्रता, विद्या और शांति का प्रतीक माना गया है। कहा जाता है कि इस रंग का प्रभाव पड़ते ही मनुष्य का चित्त भी शांत रहता है। सोचने-समझने की क्षमता का विकास होता है।
किचन का रंग संतरी या फिर लाल
कहते हैं कि जैसा अन्न खाओ मन वैसा ही होता है। इसके लिए जरूरी है कि किचन की दीवारें भी ऐसे रंग की हो जो मन को प्रसन्न रखते हों। जी हां वास्तुशास्त्र के अनुसार किचन का रंग संतरी या फिर लाल होना चाहिए। ताकि किचन में आप हमेशा खुशी का अनुभव कर सकें।
हॉल का रंग हमेशा पीला
घर में हॉल एक ऐसी जगह होती है जहां पर अधिकतर परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर कुछ समय बिताते ही हैं। ऐसे में जरूरी है कि रंग ऐसा हो कि हर तरफ सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। इसीलिए वास्तु कहता है कि हॉल का रंग हमेशा पीला होना चाहिए। यह खुशी का रंग माना जाता है। यही वजह है कि पूजा-पाठ में विशेष तौर पर पीले रंग का प्रयोग किया जाता है।
बाथरूम का रंग सफेद
वास्तुशास्त्र के अनुसार बाथरूम घर का वह हिस्सा होता है जहां पर अगर ध्यान न दिया जाए तो नकारात्मक शक्तियां हावी हो सकती हैं। यही वजह है कि कभी भी बाथरूम का दरवाजा रात में खुला नहीं रखते। इसके अलावा बाथरूम का रंग सफेद होना चाहिए ताकि वहां पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके। ध्यान रखें कि अगर बाथरूम में टाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसमें भी सफेद रंग की अधिकता रखें।