ड्रांइग रूम वह स्थान है जहां घर के सदस्य एक साथ बैठकर न केवल वार्तालाप करते हैं, बल्कि अनेक विषयों पर विचार-विमर्श भी करते हैं। इसी स्थान पर हम आगन्तुकों का स्वागत कर उनसे बातचीत भी करते हैं। वास्तु अनुकूल बनाया गया ड्रांइग रूम घर के सदस्यों को न केवल व्यर्थ के वाद-विवाद से बचाता है, बल्कि अनैच्छिक मेहमानों की संख्या में भी वृद्धि नहीं होने देता।
ड्राइंग रूम घर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण कमरा है। इसकी साज-सज्जा और सामानों के रखरखाव का सीधा असर मन और मस्तिष्क पर होता है। आइए जानते हैं भारतीय वास्तुशास्त्र की दृष्टि से ड्राइंग रूम कैसा होना चाहिए।
* इस कमरे में भारी वस्तुएं, जैसे फर्नीचर, शो-केस आदि दक्षिण-पश्चिम कोने यानी नैऋत्य कोण में रखनी चाहिए। इन्हें रखते समय यह ध्यान रखना जरुरी है कि गृहपति (घर के मालिक) जब बैठें तब उनका मुख समय पूर्व या उत्तर की ओर हो।
* घर में ड्रॉइंग रूम उत्तर-पश्चिम यानि कि वायव्य कोण की दिशा के मध्य में होना चाहिए। फर्नीचर को दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना शुभ रहता है।
* ड्राइंग रूम के दरवाजे और खिड़कियों के लिए हरे, नीले, सुनहरे, मरून रंग के पर्दे अच्छे होते हैं। पर्दों की डिजाईन यदि लहरदार हो तो और अच्छा है।
* किसी भी प्रकार की हिंसात्मक व डरावनी पेंटिग व सीनरी नहीं लगानी चाहिए। घड़ी को हमेशा पूर्व या उत्तर की दीवार पर लगाया जाये। आपके बैठने के स्थान के सामने घड़ी लगाना अति शुभकारी माना गया है, चूंकि घड़ी समय का प्रतीक है, और समय को हमेशा आगे चलना चाहिए।
* यदि ड्राइंग रूम में अक्वेरियम या कृत्रिम पानी का फव्वारा आदि रखना हो तो उसके लिए उत्तर-पूर्व कोना यानी ईशान कोण बढ़िया माना गया है। यह घर के वास्तुदोष को भी दूर करने में सहायक माना गया है।
* ड्राइंग रूम में ऐसे फर्नीचर का व्यवहार करना सबसे उत्तम माना गया है, जिनके कोने थोड़े गोलाई लिए हुए हों। बेहतर वास्तु परिणाम पाने लिए के लिए फर्नीचर लकड़ी का बनवाना चाहिए।
* ड्रॉइंग रूम में यदि आप भोजन भी करते है तो, डाइनिंग टेबल को आग्नेय कोण की दिशा के मध्य में रखना चाहिए जिससे आप स्वस्थ्य एंव मस्त रहेंगे।
* आधुनिक समय में टी।वी। ड्राइंग रूम का अविभाज्य अंग बन गया है। इस उपकरण को अग्नि कोण यानी दक्षिण-पश्चिम कोने में रखा जा सकता है।