आज माघ महीने के शुल्क पक्ष की पंचमी हैं जिसे वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता हैं। यह दिन सरस्वती जन्मोत्सव के रूप में पूरे देशभर में मनाया जाता हैं। आज मां सरस्वती का पूजन कर उन्हें भोग लगाया जाता हैं और उनके आशिएर्वाद से जीवन में बुद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं। आज हम आपको सरस्वती साधना की पूर्ण विधि के बारे में बताने जा रहे हैं जो इस पूजन को सफल बनाएगी। तो आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में।
- यह साधना प्रयोग किसी भी पुष्य नक्षत्र में प्रारंभ की जा सकती है। वसंत पंचमी पर विशेष रूप से करें।
- शुभ मुहूर्त में किसी शांत स्थान या मंदिर में पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- अपने सामने लकड़ी का एक बाजोट रखें। बाजोट पर सफेद वस्त्र बिछाएं तथा उस पर सरस्वती देवी का चित्र लगाएं।
- उस बाजोट पर एक तांबे की थाली रखें। यदि तांबे की थाली न हो, तो आप अन्य पात्र रखें।
- इस थाली में कुंकुम या केसर से रंगे हुए चावलों की एक ढेरी लगाएं।
- अब इन चावलों की ढेरी पर प्राण-प्रतिष्ठित एवं चेतनायुक्त शुभ मुहूर्त में सिद्ध किया हुआ 'सरस्वती यंत्र' स्थापित करें।
- इसके पश्चात 'सरस्वती' को पंचामृत से स्नान करवाएं। सबसे पहले दूध से स्नान करवाएं, फिर दही से, फिर घी से स्नान करवाएं, फिर शकर से तथा बाद में शहद से स्नान करवाएं।
- केसर या कुंकुम से यंत्र तथा चित्र पर तिलक करें।
- इसके बाद दूध से बने हुए नैवेद्य का भोग अर्पित करें।
- अब आंखें बंद करके माता सरस्वती का ध्यान करें।
- माता सरस्वती से अपने एवं अपने बच्चों के लिए ऋद्धि-सिद्धि, विद्यार्जन, तीव्र स्मरण शक्ति आदि के लिए प्रार्थना करें।