पूजा करते समय जरूर रखें इन बातों को ध्यान, नहीं तो झेलनी पड़ेगी पीडाएं

हर व्यक्ति अपने जीवन में शुभ और लाभ की प्राप्ति के लिए अपने आराध्य देव की सच्चे मन से पूजा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि सच्चे मन से पूजा करने के बाद भी कभीकभार पूजा में हुई गलतियों की वजह से पूजा का फल नहीं मिल पाता है और इसके विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं। इसलिए आज हम आपके लिए पूजा करते समय ध्यान में रखी जाने वाली कुछ विशेष बातों की जानकारी लेकर आए हैं जिन्हें अपनाकर आप भी पूजा का पूरा फल पा सकते हैं। तो आइये जानते है पूजा करते मसमय ध्यान रखी जाने वाली इन बातों के बारे में।

* अगर आप भगवान गणेश जी की पूजा कर रहे है तो ध्यान रखें गणेश जी को कभी भी तुलसी के पत्ते नही चढ़ाने चाहिए गणेश जी को लगने वाला भोग भी बिना तुलसी के पत्तों का ही हो ये ध्यान रखना चाहिए।

* शिव भगवान की तीन परिक्रमा करनी चाहिए, भगवन श्री गणेश जी की भी तीन और विष्णु भगवान की चार परिक्रमा करनी चाहिए सूर्य देव की साथ परिक्रमा करनी चाहिए ऐसा लिंगार्चन चन्द्रिका में लिखा है।

* चमड़े की कोई वस्तु जैसे बटवा या बेल्ट पहन कर या पास रखकर पूजा में नही जाएँ और ना ही पूजा करनी चाहिए साथ ही पूजा स्थल पर सफाई और पवित्रता की विशेष संभाल होनी चाहिए किसी भी व्यक्ति को चप्पल पहन कर पूजा स्थान में प्रवेश नही करना चाहिए। ध्यान रखें पूजा वाले स्थान के ऊपर को वजनी वस्तु ना रखें।

* पूजा के लिए फूल हमेशा नहाने के बाद ही तोड़ने चाहिए वायु पुराण के अनुसार देवता ऐसे पुष्पों को ग्रहण नही करते जो नहाने से पहले तोड़े गए हो, इसलिए जल्दी भी हो तो भी नहाने से पहले ही तुलसी के पत्ते या पुष्प तोड़ कर न रखें।

* भगवान को पूजा करते समय दीप या धुप जरूर दिखाई जानी चाहिए तथा पूजा में भोग को अवश्य शामिल करें। जलाये गए दीपक को स्वयं कभी नही बुझाना चाहिए।

* भगवान शिव को यदि आप शंख से जल चढ़ाते है तो तुरंत बंद कर दें और ना ही हल्दी चढ़ावें। इन दोनों ही कामों का शिव पूजन में निषेध है ऐसा शास्त्रों में लिखा है।

* भगवान को कभी पुराना जल या पुराने या सूखे पुष्प नही अर्पित करें। गंगाजल और तुलसी के पत्ते कभी बासे नही होते इनके तो कभी भी पूजा में उपयोग में लाया जा सकता है।

* ध्यान रखें पूजा में घी का दीपक अपने बायीं और और तेल का अपने दायीं और रखना चाहिए तथा भगवन के तिलक हमेशा सबसे छोटी ऊँगली के पास वाली ऊँगली से ही करना चाहिए।

* भगवान को भोग हमेशा पूजा या आरती कर लेने के पश्चात ही चढ़ावें।