सर्वपितृ अमावस्या पर किया गया श्राद्ध अतृप्त आत्माओं को दिलाता है मोक्ष, इन नियमों का पालन करना जरूरी

अश्विन माह में श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होती हैं, जो अभी चल रहा हैं। इन दिनों में सभी लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं और उनको मोक्ष की पाप्ति करवाते हैं। वैसे तो जिस तिथि पर पूर्वजों की मृत्यु होती हैं, उसी तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाता हैं। लेकिन किसी कारणवश आप उस दिन श्राद्ध नहीं कर पाते हैं तो सर्वपितृ विसर्जनी अमावस्या पर श्राद्ध कर सकते हैं। अमावस्या के दिन किये गए श्राद्ध से अतृप्त आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। इसलिए आज हम आपको अमावस्या पर किये गए श्राद्ध से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इन नियमों के बारे में।

* दूसरे के निवास स्थान या भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए।

* श्राद्ध में पितरों की तृप्ति के लिए ब्राह्मण द्वारा पूजा कर्म करवाए जाने चाहिए।

* ब्राह्मण का सत्कार न करने से श्राद्ध कर्म के सम्पूर्ण फल नष्ट हो जाते हैं।

* श्राद्ध में सर्वप्रथम अग्नि को भोग अर्पित किया जाता है, तत्पश्चात हवन करने के बाद पितरों के निमित्त पिंड दान किया जाता है।

* चांडाल और सूअर श्राद्ध के संपर्क में आने पर श्राद्ध का अन्न दूषित हो जाता है।

* रात्रि में श्राद्ध नहीं करना चाहिए।

* संध्याकाल व पूर्वाह्न काल में भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए।