चंद्रग्रहण अर्थात वह स्थिति जब चन्द्रमा और सूर्य के ठीक बीच में पृथ्वी आ जाती हैं। चंद्रग्रहण की स्थिति पूर्णिमा के दिन ही आती हैं। जो कि आज 31 जनवरी 2018 को भारत सहित कई ओर देशों में भी चंद्रग्रहण की स्थिति देखी जा सकती हैं। वैसे तो यह एक वैज्ञानिक क्रिया है लेकिन इसका आध्यात्मिक आयर धार्मिक महत्व भी बहुत होता हैं। ग्रहण का असर राशियों के उपर पड़ता हैं। इस चंद्रग्रहण के कुप्रभाव से बचने के लिए कुछ उपायों को करने की आवश्यकता होती हैं। ये उपाय चंद्रग्रहण के कुप्रभाव से हमें बचाते हैं। तो आइये जानते हैं उन उपायों के बारे में।
* स्गास्त्रों के अनुसार चंद्रग्रहण के समय किये जाने वाले जाप, दान और स्नान का लाखो गुना फल मिलता है और कुंडली के दोष भी कटते है।
* ज्योतिष शास्त्रियों का कहना है कि चंद्र ग्रहण क प्रभाव 108 दिनों तक रहता है, इसीलिए यह बहुत जरूरी है कि चंद्र ग्रहण के दौरान जाप किया जाए।
* ग्रहण में सभी वस्तुओं में कुश डाल देनी चाहिए कुश से दूषित किरणों का प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि कुश जड़ी- बूटी का काम करती है।
* गर्भावस्था की स्थिति में ग्रहण काल के समय अपने कमरे में बैठ कर के भगवान का भजन ध्यान मंत्र या जप करें।
* ग्रहण काल के समय प्रभु भजन, पाठ , मंत्र, जप सभी धर्मों के व्यक्तियों को करना चाहिए, साथ ही ग्रहण के दौरान पूरी तन्मयता और संयम से मंत्र जाप करना विशेष फल पहुंचाता है। इस दौरान अर्जित किया गया पुण्य अक्षय होता है। कहा जाता है इस दौरान किया गया जाप और दान, सालभर में किए गए दान और जाप के बराबर होता है।
* सभी के साथ अच्छा व्यवहार करें, और मीठा बोलें। ग्रहण के समय जाप, मंत्रोच्चारण, पूजा-पाठ और दान तो फलदायी होता ही है।
* चंद्रग्रहण को ज्योतिष के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। चन्द्र ग्रहण के समय चन्द्र देव की पूजा करने का विधान है।
* चंद्र ग्रहणके समय ग्रहों का अशुभ फल समाप्त करने और विशेष मंत्र सिद्धि के लिये नवग्रह मन्त्र , गायत्री मन्त्र एवं महामृत्युंजय आदि शुभ मंत्रों का जाप करें।
* ग्रहण मोक्ष के बाद घर में सभी वस्तुओं पर गंगा जल छिड़कना चाहिए, उसके बाद स्नान आदि कर के भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए और हवन करना चाहिए और भोजन दान करना चाहिए। धर्म सिंधु के अनुसार ग्रहण मोक्ष के उपरांत हवन करना, स्नान, स्वर्ण दान, तुला दान, गौ दान भी श्रेयस्कर है।
* ग्रहण के समय वस्त्र, गेहूं, जौं, चना आदि का श्रद्धानुसार दान करें, जो कि श्रेष्ठकर होता है।