वर्षों तक इस फूल को रखेंगें घर में तो बदल जायेंगा आपका भाग्य

यदी आप अपने जीवन को पूर्णत: बदलाना चाहते हैं तो आपको आपने आसपास की चीजों को,अपने पहनावे को और दिशाओं के अनुसा अपने खिडक़ी दरवाजों को सही दिशा तथा रूप में रखना होगा तभी आप अपने जीवन को एक नया और सही रूप देने में सक्षम होंगे। नकारात्मक जगह घर और वस्तुओं से बचना जरूरी है। खैर हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे फूल के बारे में जिसके बारे में आपने अभी तक न तो सुना और न ही देखा होगा। यह फूल सिर्फ दक्षिण भारत में ही पाया जाता है।

हम जिस फूल की बात कर रहे हैं, माना जाता है कि यह एक चमत्कारिक फूल है। यह वर्षों तक ऐसा ही चलता रहता है। इसे पानी में रखें तो यह फिर से खिल उठता है। इसकी पंखुडय़िां किसी लकड़ी जैसी लगती हैं। जिस भी घर में यह फूल होता है वहां सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है साथ ही आपके दुर्भाग्य को यह फूल भाग्य में बदल देता है। लेकिन इस फूल का मिलता अति दुर्लभ माना जाता है। हालांकि दक्षिण भारत में यह आसानी से मिल सकता है।

इसे आप थोड़ी देर पानी में रखेंगे तो यह पूरी तरह से खिल जाएगा। इस फूल की खासियत यह है कि एक तो यह फूल लकड़ी का होता है। यह आम फूलों की तरह बिल्कुल भी कोमल नहीं है बल्कि काफी सख्त होता है। फिर आप इसे किसी गुलदस्ते में रख सकते हैं। जैसे-जैसे यह सूखेगा, वैसे-वैसे यह अपनी पंखुड़ीयों को भी बंद करता जाता है। यह फूल दिखने में बहुत सुंदर होता है और सालों ते खिला ही बना रहता है।

माँ दुर्गा के 6 प्रसिद्द मंदिर

चैत्र नवरात्रा प्रारंभ हो चुकी हैं और इन नौ दिनों में माता रानी के सभी नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती हैं। इन नौ दिनों को बहुत ही शुभ दिन माना जाता हैं और इन दिनों में कई मंगल कार्य किये जाते हैं। पूरे देशभर में माता रानी को बड़ी आस्था के साथ पूजा जाता हैं और देशभर में मातारानी के कई बड़े मंदिर विद्यमान हैं। आज हम आपको देशभर के प्रसिद्द मातारानी के कुछ ऐसे ही प्रसिद्द मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं मातारानी के प्रसिद्द मंदिरों के बारे में।

* नैना देवी मंदिर : नैनीतालनैनीताल में, नैनी झील के उत्त्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर स्थित है। 1880 में भूस्खलन से यह मंदिर नष्ट हो गया था। बाद में इसे दोबारा बनाया गया। यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं।

* ज्वाला देवी मंदिर : हिमाचल प्रदेश हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच बसा है ज्वाला देवी का मंदिर। मां ज्वाला देवी तीर्थ स्थल को देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माना जाता है। शक्तिपीठ वह स्थान कहलाते हैं जहां-जहां भगवान विष्णु के चक्र से कटकर माता सती के अंग गिरे थे। शास्त्रों के अनुसार ज्वाला देवी में सती की जिह्वा गिरी थी।

* कामाख्या शक्तिपीठ : गुवाहाटी (असम) के पश्चिम में 8 कि।मी। दूर नीलांचल पर्वत पर है। माता के सभी शक्तिपीठों में से कामाख्या शक्तिपीठ को सर्वोत्तम कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां पर माता सती का गुह्वा मतलब योनि भाग गिरा था, उसी से कामाख्या महापीठ की उत्पत्ति हुई। कहा जाता है यहां देवी का योनि भाग होने की वजह से यहां माता रजस्वला होती हैं।

* करणी माता मंदिर : एक ऐसा ही मंदिर राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गांव देशनोक की सीमा में स्थित है। यह है मां करणी देवी का विख्यात मंदिर। यह भी एक तीरथ धाम है, लेकिन इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी देश और दुनिया के लोग जानते हैं।

* दक्षिणेश्वर काली मंदिर : कोलकाता का मां दक्षिणेश्वर काली मंदिर यहां के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण सन 1847 में शुरू हुआ था। कहते हैं जान बाजार की महारानी रासमणि ने स्वप्न देखा था, जिसके अनुसार मां काली ने उन्हें निर्देश दिया कि मंदिर का निर्माण किया जाए। उसके बाद इस भव्य मंदिर में मां की मूर्ति श्रद्धापूर्वक स्थापित की गई। सन् 1855 में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ। यह मंदिर 25 एकड़ क्षेत्र में स्थित है।

* श्री महालक्ष्मी मंदिर :
कोल्हापुरश्री महालक्ष्मी मंदिर विभिन्न शक्ति पीठों में से एक है और महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है। यहां जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आता है मां के आशीर्वाद से वह मुराद पूरी हो जाती है। भगवान विष्णु की पत्नी होने के नाते इस मंदिर का नाम माता महालक्ष्मी पड़ा।