सावन का महीना हो और उसमें सोमवार का दिन हो तो चारों तरफ भक्तिमय माहौल दिखाई देता हैं। क्योंकि इस दिन सभी भक्तगण भोले बाबा की भक्ति में लीन होते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई जतन करते हैं। सावन के सोमवार को जो भी पूरे विधि-विधान से शिव जी की पूजा करता है, शिवजी उनके सभी दुखों को हरते हैं और उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। सावन के सोमवार के दिन की गई पूजा में कुछ बातें ध्यान में रखी जाए, तो इससे भक्त का आध्यात्मिक उत्थान होता हैं और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती हैं। तो आइये जानते हैं उन बातों के बारे में जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए।
* व्रतधारी को ब्रह्म मुर्हत में उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर नहाना चाहिए।
* भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है परंतु विशेष अवसर व विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचिलत है।
* तत्पश्चात ऊँ नमः शिवाय मंत्र के द्वारा श्वेत फूल, सफेद चंदन, चावल, पंचामृत, सुपारी, फल और गंगाजल या साफ पानी से भगवान शिव और पार्वती का पूजन करना चाहिए।
* मान्यता है कि अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप हो, गायत्री मंत्र हो या फिर भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र।
* शिव-पार्वती की पूजा के बाद सावन के सोमवार की व्रत कथा करें।
* आरती करने के बाद भोग लगाएं और घर परिवार में बांटने के पश्चात स्वयं ग्रहण करें।
* दिन में केवल एक समय नमक रहित भोजन ग्रहण करें।
* श्रद्धापूर्वक व्रत करें। अगर पूरे दिन व्रत रखना सम्भव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत कर सकते हैं।
* ज्योतिष शास्त्र में दूध को चंद्र ग्रह से संबंधित माना गया है क्योंकि दोनों की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती है। चंद्र ग्रह से संबंधित समस्त दोषों का निवारण करने के लिए सोमवार को महादेव पर दूध अर्पित करें।
* समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए शिवलिंग पर प्रतिदिन गाय का कच्चा दूध अर्पित करें। ताजा दूध ही प्रयोग में लाएं, डिब्बा बंद अथवा पैकेट का दूध अर्पित न करें।