शिव को भोलेनाथ कहा जाता हैं, क्योंकि भगवान शिव भक्तों के सच्चे मन की भक्ति से खुश होकर ही उनकी सभी मनोकामनाए पूर्ण कर देते हैं। खासकर सावन के दिनों में की गई भक्ति से भगवान शिव को जल्दी प्रसन्न किया जा सकता हैं। आज हम आपको उन चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें भगवान शिव की पूजा में इस्तेमाल किया जाता हैं और इसनो अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। तो आइये जानते हैं उन 5 चीजों के बारे में।
* अकौड़ाये जंगली फूल अकौड़ा यानि मदार शिव जी को अत्यंत प्रिय है। पूजा के दौरान जल, चंदन और अक्षत अर्पित करने के पश्चात शिव जी को यदि फूल चढृाया जाए तो अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं क्योंकि मदार श्री गणेश का प्रतीक है और कौन पिता होगा होगा जिसे पुत्र की निकटता मिले तो वो खुश नहीं होगा।
* बेलपत्र ये बेल के वृक्ष की पत्तियां होती हैं जिन्हें बिल्व पत्र भी कहा जाता है। कहा जाता है कि सर्वोत्तम वो पत्तियां होती हैं जो एक साथ तीन के संगठन में होती हैं। ये तीन पत्तियां ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक मानी जाती हैं। इसीलिए इससे तीनों ही देव प्रसन्न होते हैं। साथ ही तीनों देवों की अर्द्घांगनियों को भी ये पत्तियां प्रिय हैं। लक्ष्मी, पार्वती और सीता को राम नाम लिख कर बेलपत्र चढ़ाने से आर्थिक लाभ होता है।
* शमी पत्र शमी पत्र शनि का प्रतीक है। कहते हैं कि एक बार जब शनिदेव ने शिव को रुष्ट कर दिया और दोनों में युद्घ हुआ तो शिव के प्रहार से शमी ने ही उनकी रक्षा की थी। उसके बाद शनी ने शिव से क्षमा मांगी और इस तरह भगवान शिव को शमी अर्पित किया जाने लगा। सावन के महीने में भगवान शिव के श्रृंगार में इसकी पत्तियों का अत्यंत महत्व है।
* धतूरा शिव ने समुद्र मंथन से निकले जहर को पीकर भी जगत की रक्षा की थी, धतूरा चढ़ाना इसी बात का प्रतीक है कि जहर पीकर भी मानव मात्र की रक्षा के बारे में सोचता है वही वास्तव में शिव को प्रिय है।शिव पूजा में धतूरे जैसा जहरीला फल चढ़ाने के पीछे भी भाव यही है कि व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में बुरे व्यवहार से दूर रहे। शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाने से प्रसन्न होने वाले शिव वास्तव में चाहते हैं कि उनके भक्त मन और विचारों की कड़वाहट निकाल कर मिठास अपनायें। धतूरा शरीर से विकार निकालने वाली आैषधि के रूप में भी काम करता है।
* भांग भांग को आयुर्वेद में हितकारी औषधि माना जाता है। कहते हैं कि वैसे तो भांग एक विषैला पदार्थ है, लेकिन अगर शरीर में पहले से ही कोई विषाक्त पदार्थ हों तो फिर ये उसके प्रभाव को खत्म कर देता है। एक मान्यता के अनुसार भगवान शिव को भांग विशेष तौर पर प्रिय है क्योंकि ये गंगा की बहन है और दोनों ही भगवान शिव के सिर पर निवास करती हैं। भांग के पौधे को माता पार्वती का स्वरूप भी माना जाता है, इसलिए भी भोलेनाथ को प्रिय है। साथ ही भांग ऐसा भी माना जाता है हमेशा ध्यानमग्न रहने वाले शंकर जी को भांग का सेवन मग्न रखता है।