बकरा ईद का त्योंहार मुस्लिम सम्प्रदाय के लिए ख़ुशी और हर्षोल्लास का त्योंहार माना जाता हैं। इस दिन सभी लोग अपने परिवारजन और मित्र बंधुओं से मिलकर ईद मुबारक करते हैं। इस दिन को मुस्लिम सम्प्रदाय में कुर्बानी के लिए जाना जाता हैं। इसी के प्रतीकात्मक जानवरों की कुर्बानी दी जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं बकरीद पर कुर्बानी के वक़्त कुछ बातों का ध्यान रखा जाता हैं, तभी इस कुर्बानी को सफल माना जाता हैं। तो आइये हम बताते है कुर्बानी के वक़्त ध्यान रखी जाने वाली इन बातों के बारे में।
* जिस जानवर की आप कुर्बानी करने जा रहे हैं, वह स्वस्थ होना चाहिए और उसे किसी तरह की बीमारी नहीं होनी चाहिए।
* कुर्बानी वाले जानवर का बालिग होना भी जरूरी है।
* जानवर के शरीर पर किसी भी तरह का कट या फिर कोई भी अंग टूटा हुआ नहीं होना चाहिए।
* जानवर को बकरीद की पूर्व संध्या को मेहंदी लगाई जाती है और बकरीद के दिन उसे अच्छे से नहलाकर पाक किया जाता है।
* कुर्बानी के वक्त जानवर और उसे जिबह करने वाले दोनों का मुंह किबला की तरफ होना चाहिए। जानवर को जमीन पर लिटाने से पहले ही किबला की तरफ उसका रुख करें। जमीन पर लिटाने के बाद उसे ना घसीटें।
* जानवर को जमीन पर लिटाते ही दुआ पढ़कर उसकी गर्दन पर छुरी चलाते हुए जिबह कर दें। इसमें देरी ना करें। ध्यान रखें जिबह के वक्त छुरी को पहले से तेज कर लें। जानवर को तड़पाना नहीं होता है।
* जिबह करने के बाद जानवर को ठंडा होने तक छोड़ दें। जब जानवर ठंडा हो जाए, तब जाकर उसका गोश्त बनाया जाना चाहिए।
* कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। एक हिस्सा घर में, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों में और तीसरा हिस्सा गरीबों और पड़ोसियों में बांटा जाता है।
* कुर्बानी के बाद जानवर की खाल तुरंत किसी को दे दें, अकसर यह खाल मदरसे या किसी गरीब को दान की जाती है।
* जानवर के अवशेष रास्ते में ना फेंके, इससे आपके इलाके में गंदगी होगी और कुर्बानी की बेहुर्मती होगी। ऐसे में इन चीजों को जमीन में दफना देंगे तो अच्छा रहेगा।