Rakhi Special 2019: इतिहास और पुराणों में वर्णित है ये कहानियाँ, दर्शाती हैं भाई-बहिन का प्यार

सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाए जाने वाला रक्षाबंधन का त्यौंहार इस साल 15 अगस्त को आ रहा हैं। यह त्यौंहार भाई-बहिन के रिश्ते की मजबूती को दर्शाते हैं। इस त्यौंहार में एक बहिन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उससे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। यहाँ तक की इस त्यौंहार से जुड़ी विभिन्न कहानियाँ इतिहास और पुराणों में भी मिलती हैं। आज हम आपको उन्हीं कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं।

राखी बंधवाने वाले को यमराज का वरदान
प्रसंग यह है कि मृत्यु के देवता यमराज को एक बार यमुना ने राखी भेजी। राखी बंधवाने के बाद यमराज ने यमुना को अमरता का वरदान दे दिया। प्राणों को हरने वाले ने अमरता का वरदान दिया, यह एक आश्चर्यजनक बात थी। तब से ही यह कहा गया कि जो भाई रक्षाबंधन के दिन अपनी बहन से राखी बंधवाएंगे, यमराज उनके प्राणों की रक्षा करेंगे।

साड़ी का पल्लू बना राखी
रक्षाबंधन मनाने के पीछे जितने भी कारण हैं उनमें कृष्ण-द्रौपदी की कहानी सबसे रोचक है। कथा है कि जब युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ में राज्याभिषेक होना था उस समय सभा में शिशुपाल भी मौजूद था। शिशुपाल ने भगवान श्रीकृष्ण का अपमान किया तो श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का सिर काट दिया। इसमे श्रीकृष्ण की उंगली कट गई और रक्त बहने लगा। द्रौपदी ने झट से साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर लपेट दिया। इसी समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया था कि वह एक-एक धागे का ऋण चुकाएंगे। यह घटना जिस दिन हुई थी उस दिन सावन महीने की पूर्णिमा तिथि थी। कुरु सभा में वस्त्रहरण के समय श्रीकृष्ण ने अपने वचन को पूरा और द्रौपदी की लाज बचाई। इसलिए सावन पूर्णिमा के दिन रक्षासूत्र बांधने की परंपरा शुरू हुई।

राखी से जुड़ी है सिकंदर की कहानी
राखी से जुड़ा एक किस्सा यह भी है कि सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के शत्रु पोरस को राखी बंधकर अपना मुंहबोला भाई बनाया और यह वादा लिया कि वह युद्ध में उसके पति सिकंदर की जान बख्श दे। पोरस ने भी युद्ध के दौरान राखी के धागों की लाज रखी और सिकंदर को जीवनदान दिया।

महाभारत युद्ध जीतने में राखी का योगदान
माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के दौरान युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं कैसे सभी संकटों से पार पा सकता हूं। कृष्ण ने उन्हें तथा उनकी सेना को रक्षा धागा बंधने को कहा। तब से इस दिन पवित्र रक्षासूत्र बांधा जाता है। यह घटना भी सावन पूर्णिमा के दिन ही हुआ माना जाता है।

मेवाड़ से जुड़ी है राखी की कहानी
प्रसंग यह भी है कि मेवाड़ की रानी कर्णावती को यह पता चला कि उनके राज्य पर आक्रमण होने वाला है। उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजी और याचना की कि वह उनके राज्य की रक्षा करें। मुगल सम्राट होने पर भी हुमायूं ने कर्णावती की भावनाओं का सम्मान किया और मेवाड़ पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने कर्णावती की तरफ से बहादुरशाह के खिलाफ लड़ाई लड़ी।