बजरंगबली की कृपा दिलाएंगे ये खास उपाय, दूर होंगे सभी दुख-दर्द

हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं के पूजन के कुछ विशेष दिन और नियम हैं जिसके अनुसार उनकी भक्ति की जाए तो विशेष फलदायी साबित होते हैं। आज मंगलवार का दिन हैं जो कि राम भक्त हनुमान को समर्पित हैं। आज के दिन सभी भक्तगण हनुमान जी को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं और उनके आशीर्वाद की चाह रखते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको हनुमान जी से जुड़े कुछ ऐसे उपायों की जानकारी देने जा रहे हैं जो बजरंगबली को खुश कर आपके सभी दुख-दर्द दूर करेंगे।

राम- नाम का करें जाप

कहा जाता है कि सच्चे मन से भक्ति करने से भगवान अपने भक्तों से दूर नहीं रह पाते हैं। ऐसे में ही दिन में एक बार भी सच्चे मन से भगवान राम का नाम लेने से बजरंग बली की कृपा पा सकते हैं।

लाल गुलाब और तुलसी

अगर आप किसी परेशानी से जूझ रहें है तो ऐसे में नियमित रूप से किसी हनुमान मंदिर में जाकर बजरंगबली तो लाल रंग का गुलाब और तुलसी के पत्ते अर्पित करें। इसे आपके जीवन में चल रही रूकावटें जल्दी ही दूर होंगी। आप चाहे तो गेंदे के फूल भी चढ़ा सकते हैं।

हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें

रोजाना पवनपुत्र हनुमान जी के मंदिर या घर के पूजा घर हनुमान चालीसा और बजरंग बाण पढ़ना चाहिए। इससे जल्दी ही हनुमान जी कृपा मिलती है। संकटों से मुक्ति मिलने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

बूंदी के लड्डू

हनुमान जी को बूंदी से तैयार लड्डूओं का मंगलवार और शनिवार के दिन भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है। ये दोनों दिन संकटमोटन हनुमान जी को अतिप्रिय होने से जीवन में चल रही परेशानियों का अंत होता है। साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

सिंदूर चढ़ाए

बूंदी के लड्डूओं की तरह सिंदूर भी बजरंगबली जी को अतिप्रिय होता है। ऐसे में मंगलवार और शनिवार के दिन उन्हें सिंदूर चढ़ाकर हनुमान चालीसा पढ़ने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

इन मंत्रों का करें जाप

अगर आप संकटमोचन हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनके कुछ विशेष मंत्रों का जाप करें। इससे बजरंग बली जल्दी ही आप पर अपनी कृपा की वर्षा बरसाएंगे। तो चलिए जानते हैं उन मंत्रों के बारे में।

- 'ॐ हं हनुमते नम:।'
- 'ॐ अंजनिसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो मारुति प्रचोदयात्।'
- ''अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥''