हर काम करने की एक प्रक्रिया होती हैं जिसे उसके मुताबिक किया जाए तो सफलता हासिल होती ही हैं। ऐसी ही कुछ प्राक्रिया पूजापाठ से जुड़ी हैं जिसके बारे में शास्त्रों और हिन्दू धर्म में जानकारी दी गई हैं। आज इस कड़ी में हम आपको पूजापाठ से जुड़े कुछ नियमों की जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हें अपनाने से आपको देवतागण का आशीर्वाद प्राप्त होगा और आपके सभी बिगड़े हुए काम बनेंगे। पूजापाठ पूर्ण नियमों के साथ करना ही फलदायी साबित होता हैं। तो आइये जानते हैं इन नियमों के बारे में।
- जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुना प्राप्त होता है। माला जप करते समय दाएं हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए। जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए। इससे आपको जप के पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।
- संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और शाम के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध है। दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए। यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं।
- शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करना श्रेष्ठ माना जाता है। कूमड़ा-मतीरा-नारियल आदि को स्त्रियां न तोड़ें और न ही चाकू से काटें। यह उत्तम नहीं माना गया हैं। भोजन प्रसाद को कभी लांघना नहीं चाहिए।
- कभी भी भगवान को या फिर अपने से बड़े को एक हाथ से प्रणाम नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखें कि सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए।
- पूजा के बाद बड़ों का आशीर्वाद लेते समय ध्यान रखें कि किसी के दांए पैर को दाएं हाथ से बाएं पैर को बाएं हाथ से छूकर प्रणाम करें।
- किसी को भी कोई वस्तु या दान-दक्षिणा दाएं हाथ से देना चाहिए। एकादशी, अमावस्या, कृष्ण चतुर्दशी, पूर्णिमा व्रत तथा श्राद्ध के दिन दाढ़ी नहीं बनाना चाहिए। बिना जनेऊ पहने जो भी पूजापाठ किया जाता है वह निष्फल माना जाता है।
- शंकर जी को बिल्वपत्र, विष्णुजी को तुलसी, गणेश जी को दूर्वा, लक्ष्मीजी को कमल प्रिय है। शंकरजी को शिवरात्रि के अलावा किसी दिन कुमकुम नहीं चढ़ती।
- शिवजी को कुंद, विष्णुजी को धतूरा, देवीजी को आक तथा मदार और सूर्य भगवान को तगर के फूल नहीं चढ़ाए जाते।घर बनवाने जा रहे हैं तो जान लीजिए हर कमरे में होना चाहिए कौन सा रंग
- घी का दीपक अपने बांईं ओर तथा देवता को दाएं ओर रखें एवं चावल पर दीपक रखकर प्रज्ज्वलित करें। पूजा करने वाले माथे पर तिलक लगाकर ही पूजा करें।
- ऐसा माना जाता है कि 5 रात्रि तक तक कमल का फूल बासी नहीं होता है। 10 रात्रि तक तुलसी पत्र बासी नहीं होते हैं।
- पूजा करते समय पत्नी को दाएं भाग में बिठाकर धार्मिक क्रियाएं संपन्न करनी चाहिए। पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठें और अपने बांयी ओर घंटा, धूप तथा दाएं ओर शंख, जलपात्र एवं पूजन सामग्री रखें।