शुभ फलदायी होते हैं अधिकमास में किए गए ये 5 काम, मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद

चंद्र वर्ष और सूर्य वर्ष में अंतर के चलते हर तीसरे साल अधिकमास आता हैं। इस बार आश्विन मास में 160 साल के बाद अधिकमास आया हैं। इस अधिकमास में सभी मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं और किसी नए काम की शुरुआत नहीं की जाती हैं। लेकिन वहीँ यह माह भगवान विष्णु का अत्यंत प्रिय हैं जिसके चलते इसका एक नाम पुरुषोत्तम मास भी हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन शुभ फलदायी कार्यों के बारे में बताने जा रहे हैं जो इस महीने में किए जाए तो भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।

सत्‍यनारायण भगवान की पूजा

अधिकमास में श्रीहरि यानी भगवान विष्‍णु की पूजा करना सबसे श्रेष्‍ठ माना जाता है। इसलिए अधिकमास में वैसे तो सभी प्रकार के शुभ कार्यों की मनाही होती है, लेकिन भगवान सत्‍यनारायण की पूजा करना सबसे शुभफलदायी माना जाता है। अधिकमास में विष्‍णुजी की पूजा करने से माता लक्ष्‍मी भी प्रसन्‍न होती हैं और आपके घर में धन वैभव के साथ सुख और समृद्धि आती है।

महामृत्युंजय मंत्र का जप

अधिकमास में ग्रह दोष की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना सबसे श्रेष्‍ठ माना जाता है। बेहतर होगा कि आप किसी पुरोहित से संकल्‍प करवाकर महामृत्‍युंजय मंत्र का जप करवाएं। यदि कोरोनाकाल में ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है तो आप खुद से ही अपने घर में महामृत्युंजय मंत्र का जप करवाएं। ऐसा करने से आपके घर से सभी प्रकार के दोष समाप्‍त होंगे और आपके घर में सकारात्‍मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ेगा।

यज्ञ और अनुष्ठान

अगर आप काफी समय से अपनी किसी मनोकामना को लेकर यज्ञ या अनुष्‍ठान करवाने के बारे में सोच रहे हैं तो अधिकमास का समय इस कार्य के लिए सर्वश्रेष्‍ठ है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, अधिकमास में करवाए जाने वाले यज्ञ और अनुष्‍ठान पूर्णत: फलित होते हैं और भगवान अपने भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

दान पुण्‍य के कार्य

अधिकमास में दान पुण्‍य के कार्य आपके लिए बैकुंठधाम का मार्ग प्रशस्‍त करते हैं। अधिकमास के दिनों में आपको विशेष रूप से गुरुवार के दिन पीली वस्‍तुओं का दान करना चाहिए। ऐसा करने से प्रभु श्रीहरि की कृपा आपको प्राप्‍त होती है और आपका गुरु भी बलवान होता है। गुरु के बलवान होने का अर्थ है कि आपको करियर में सफलता प्राप्‍त होगी।

ब्रजभूमि की यात्रा

पुराणों में बताया गया है कि अधिकमास में भगवान विष्‍णु और उनके सभी अवतारों की पूजा करना सबसे उत्‍तम माना जाता है। अधिकमास के इन 30 दिनों में अक्‍सर लोग ब्रज क्षेत्र की यात्रा पर चले जाते हैं। हालांकि इस वक्‍त कोरोनाकाल में ब्रजभूमि की यात्रा करना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने घर में भगवान राम और कृष्‍ण की पूजा करें। इससे उत्‍तम फल की प्राप्ति होगी।