गुड फ्राइडे 2020 : ईसा मसीह को सूली चढ़ाने से जुड़े हैं ये 5 रहस्य

आने वाली 10 अप्रैल, 2020 को गुड फ्राइडे हैं जो कि वह दिन हैं जब ईसा मसीह को सूली पर लटका दिया गया था। 5 अप्रैल को पाम संडे था जब वे नगर में प्रवेश करते हैं और 12 अप्रैल को ईस्टर है जब वे पुन: जीवित हो गए थे। गुड फ्राइडे को कई अन्य नामों से भी जाना जाता हैं जैसे कि ग्रेट फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या होली फ्राइडे। आज इस कड़ी में हम आपको ईसा मसीह को सूली चढ़ाने से जुड़े कुछ रहस्यों की जानकारी देने जा रहे हैं जिनका जिक्र पवित्र पुस्तक बाइबिल - यूहन्ना - 18, 19 में मिलता है। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

कहां पर दी थी सूली

ईसा मसीह जिस जगह पर सूली चढ़ाया गया था उस स्थान को गोलगोथा नाम से जाना जाता है। यह जगह इसराइल की राजधानी यरुशलम में ईसाई क्षेत्र में है। इसे ही हिल ऑफ़ द केलवेरी कहा जाता है। इस स्थान पर चर्च ऑफ फ्लेजिलेशन है। होली स्कल्प्चर से चर्च ऑफ फ्लेजिलेशन तक के मार्ग को दुख या पीड़ा का मार्ग माना जाता है। यात्रा के दौरान 9 ऐतिहासिक और पवि‍त्र स्थल हैं। चर्च ऑफ फ्लेजिलेशन को वह स्थान माना जाता है, जहां सार्वजनिक रूप से यीशु की निंदा हुई और उन्हें गोलगोथा की पहाड़ी पर क्रॉस पर चढ़ा दिया गया।

क्यों दी थी सूली

प्रभु यीशु पर 3 आरोप लगे थे। सबसे बड़ा आरोप यह था था कि वह खुद को मसीहा और ईश्वर का पुत्र कहते थे। यहूदियों के धर्मगुरुओं को यह अच्‍छा नहीं लगा और उन्होंने इसकी शिकायत रोमन गवर्नर पिलातुस से की। पिलातुस को यीशु में कोई खोट नहीं नजर आई। तब भी रोमी टुकड़ी के सिपाहियों और उनके सूबेदारों तथा यहूदियों के मन्दिर के पहरेदारों ने यीशु को बंदी बना लिया। वे उसे लेकर अंत में पिलातुस के पास लाए।

कैसे दी सूली

यहूदियों के दबाव के चलते पिलातुस ने यीशु को कोड़े लगवाए। सिपाहियों कंटीली टहनियों को मोड़ कर एक मुकुट बनाया और उसके सिर पर रख दिया। फिर उन्हें एक बड़ा सा क्रूस दिया गया जिसे लेकर उन्हें उस स्थान पर जाना था जहां सूली दी जाती है। इसे गुलगुता (खोपड़ी का स्थान) कहा जाता था। संपूर्ण रास्ते में उन्हें कोड़े मारे गए और अंत में वे वहां पहुंचे और सभी के सामने दो लोगों के साथ सूली पर लटका दिया। यीशु के क्रूस के पास उसकी मां, मौसी क्लोपास की पत्नी मरियम, और मरियम मगदलिनी खड़ी थी।

सूली पर से उतारने के बाद कहां रखा गया

ईसा मसीह को सूली पर से उतारने के बाद उनका एक अनुयायी शव को ले गया और उसने शव को एक गुफा में रख दिया गया था। उस गुफा के आगे एक पत्थर लगा दिया गया था। वह गुफा और पत्थर आज भी मौजूद है। इसे खाली कब्र कहा जाता है। बाद में उनके शव को विधिवत रूप से दूसरी ओर दफनाया गया।

कहां दफनाया गया

यरुशलम के प्राचीन शहर की दीवारों से सटा एक प्राचीन पवित्र चर्च है जिसके बारे में मान्यता है कि यहीं पर प्रभु यीशु पुन: जी उठे थे। जिस जगह पर ईसा मसीह फिर से जिंदा होकर देखा गए थे उसी जगह पर यह चर्च बना है। इस चर्च का नाम है- चर्च ऑफ द होली स्कल्प्चर। स्कल्प्चर के भीतर ही ईसा मसीह को दफनाया गया था। माना यह भी जाता है कि यही ईसा के अंतिम भोज का स्थल है।