श्राद्ध पक्ष से जुड़ी हैं कर्ण की कथा, जानें इसके बारे में

श्राद्ध पक्ष अर्थात पितृपक्ष चल रहा हैं। इस श्राद्ध पक्ष में परिजनों द्वारा अपने मृत परिजनों अर्थात पितरों का श्राद्ध कि जाता हैं और उनकी आत्मा की तृप्ति की कामना की जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाभारत के कर्ण से भी एक शरद पक्ष की कथा जुड़ी होती हैं जिसे अधिकांश क्षेत्रों में सुनाया जाता हैं। आज हम आपको कर्ण की श्राद्ध पक्ष से जुड़ी कथा के बारे में ही बताने जा रहे हैं।

महाभारत के दौरान, कर्ण की मृत्यु हो जाने के बाद जब उनकी आत्मा स्वर्ग में पहुंची तो उन्हें बहुत सारा सोना और गहने दिए गए। कर्ण की आत्मा को कुछ समझ नहीं आया, वह तो आहार तलाश रहे थे। उन्होंने देवता इंद्र से पूछा कि उन्हें भोजन की जगह सोना क्यों दिया गया। तब देवता इंद्र ने कर्ण को बताया कि उसने अपने जीवित रहते हुए पूरा जीवन सोना दान किया लेकिन अपने पूर्वजों को कभी भी खाना दान नहीं किया।

तब कर्ण ने इंद्र से कहा उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि उनके पूर्वज कौन थे और इसी वजह से वह कभी उन्हें कुछ दान नहीं कर सकें। इस सबके बाद कर्ण को उनकी गलती सुधारने का मौका दिया गया और 16 दिन के लिए पृथ्वी पर वापस भेजा गया, जहां उन्होंने अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका श्राद्ध कर उन्हें आहार दान किया। तर्पण किया, इन्हीं 16 दिन की अवधि को पितृ पक्ष कहा गया।