पाना चाहते हैं गंगा दशहरा व्रत का पूर्ण फल, जानें इसकी पूजन विधि और सावधानियां

आज ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि है जिसे गंगा दशहरा व्रत के रूप में जान जाता हैं। आज के दिन किया गया व्रत और गंगा स्नान आपको पुण्य की प्राप्ति करवाता हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि गंगा दशहरा व्रत को पूर्ण विधि के साथ करा जाए और इसकी मदद से पूर्ण फल की प्राप्ति की जाए। इसलिए आज हम आपके लिए गंगा दशहरा व्रत की पूर्ण पूजन विधि और इससे जुड़ी सावधानियां लेकर आए हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

गंगा दशहरा पूजन विधि

- गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने से मनुष्य के शरीर, मन और वचन इन दस प्रकार के पापों का शमन होता है।
- गंगा नदी में स्नान न कर पाने की स्थिति में घर के पास ही किसी नदी या तालाब में स्नान किया जा सकता है। यदि वह भी संभव ना हो, तो माता गंगा का ध्यान करते हुए घर के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान-ध्यान करना चाहिए।
- गंगा दशहरा के पूजन और दान में शामिल किए जाने वाले वस्तुओं की संख्या दस होनी चाहिए।
- गंगा नदी में डुबकी भी दस बार लगानी चाहिए।
- स्नानादि के बाद मां गंगा की पूजा करनी चाहिए।
- इस दौरान गंगा जी के मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है।गंगा के साथ ही राजा भागीरथ और हिमालय देव की भी पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
- इस दिन खास तौर पर भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने ही गंगा जी की तीव्र गति को अपनी जटाओं में धारण किया था।

गंगा दशहरा की सावधानियां

- गंगा दशहरा पर ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- गंगा दशहरा के दिन किसी भी प्रकार से मांस और मंदिरा का सेवन करें और न हीं अपने घर में किसी को करने दें।
- गंगा दशहरा पर अपनी बहन बेटियों के घर मीठा अवश्य भेंजे।
- गंगा दशहरा के दिन जो भी दान करें उसकी संख्या कम से कम दस होनी चाहिए।
- गंगा दशहरा में प्रण लें कि किसी भी प्रकार से किसी नदी को गंदा न करें।
- गंगा दशहरा पर किसी भी प्रकार से जल को व्यर्थ न करने का प्रण लें।
- गंगा दशहरा पर पितृरों का तर्पण अवश्य करें। जिससे आपके पितरों को शांति प्राप्त हो सके।
- गंगा दशहरा पर कुछ मीठा बनाकर अपने अपने पितरों को भोग अवश्य लगांए।
- गंगा दशहरा पर पानी और पंखों का दान अवश्य करें।
- गंगा दशहरा पर मीठा जल अवश्य बांटे।