गणेश चतुर्थी Ganesh Chaturthi 2018 का त्योहार सभी और खुशियाँ और उत्साह लेकर आता हैं। इस दिन सभी अमीर और गरीब एक साथ मिलकर श्रीगणेश का स्वागत करते हैं। हांलाकि सभी देवताओं के सामने व्यक्ति का कोई वर्चस्व नहीं होता हैं। लेकिन खासकर गणेश जी के सामने कोई भी अमीर अपना वर्चस्व नहीं दिखाता हैं। क्योंकि एक बार कुबेर की अमीरी के इस घमंड को गणेशजी ने चूर कर दिया था। आज हम आपको उसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं कि कैसे गणेशजी ने कुबेर का घमंड चूर किया था।
एक बार कुबेर को अपने धन धान पर बहुत ज्यादा अहंकार हो गया। उसने सोचा की उसके पास तीनो लोको में सबसे ज्यादा सम्पति है , क्यों ना एक भव्य भोज का आयोजन करके अपना वैभव दिखाया जाये। कुबेर ने सभी देवी देवताओ को इस महा भोज में आमंत्रित किया।
वे भगवान शिव की निवास स्थली कैलाश भी गये और उन्हें परिवार सहित आने का आमंत्रण दे दिया। भोलेनाथ तो सब कुछ जानने वाले है। वे समझ गये की कुबेर को अपने धन पर घमंड हो गया है और उन्हें सही राह दिखाई चाहिए। शिव ने कुबेर से कहा की वो तो आ नही सकते पर उनका पुत्र श्री गणेश जरुर भोज में आ जायेंगे। कुबेर खुश होकर चले गये। महा भोज वाला दिन आ गया। कुबेर ने दुनिया भर के पकवान सोने चांदी के थालो में परोस रखे थे। सभी देवी देवता भर पेट खाकर कुबेर के गुणगान करते विदा होने लगे।
अंत में श्री गणेश ने पहुँच गये। कुबेर ने उन्हें विराजित किया और खाना परोसने लगे। गणपति जी अच्छे से जानते थे की कुबेर का कैसे घमंड दूर करना है। वे खाते ही जा रहे है। धीरे धीरे कुबेर का अन्न भोजन भंडार खाली होने लगा पर गणेश जी का पेट तो भरा ही नही।
कुबेर ने गणेश जी के फिर से भोजन की व्यवस्था की पर क्षण भर में वो भी खत्म हो गया। गणेश जी भूख से पागल से हो गये थे। वे कुबेर के महल की चीजो को भी खाने लगे। कुबेर घबरा गये और उनका अहंकार भी खत्म हो गया। वे अच्छे से समझ गये की धन के देवता होने के बाद भी आने वाले अतिथि का पेट तक नही भर सकते।
कुबेर देवता गणेश जी के चरणों में पड़ गये और अपने घमंड के लिए क्षमा मांगी। गणेश जी ने अब अपनी लीला खत्म की और उन्हें माफ़ कर सदबुद्धि प्रदान की।