कजली तीज अर्थात सतुडी तीज आ चुकी हैं और इसको लेकर घरों में तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। खासतौर पर घरों में सत्तू बनाया जा रहा हैं, क्योंकि इस तीज पर सत्तू का बड़ा महत्व माना जाता हैं और इसलिए ही इसे सतुडी तीज के नाम से भी जाना जाता हैं। लेकिन क्या आप इस सत्तू से जुडी कहानी के बारे में जानते हैं। नहीं तो, आइये आज हम आपको इस कजली तीज के खास मौके पर बताने जा रहे हैं सत्तू से जुडी कहानी के बारे में, आइये जानते हैं इस कहानी के बारे में।
कहानी एक किसान के 4 बेटे और बहुएं थी। उनमें से तीन बहुएं बहुत संपन्न परिवार से थी। लेकिन सबसे छोटी वाली गरीब थी और उसके मायके में कोई था भी नहीं । तीज का त्यौहार आया, और परंपरा के अनुसार तीनों बड़ी बहुओं के मायके से सत्तू आया लेकिन छोटी बहु के यहाँ से कुछ ना आया। तब वह इससे उदास हो गई और अपने पति के पास गई। पति ने उससे उदासी का कारण पुछा। उसने सब बताया और पति को सत्तू लेन के लिए कहा। उसका पति पूरा दिन भटकता रहा लेकिन उसे कहीं सफलता नहीं मिली। वह शाम को थक हार के घर आ गया। उसकी पत्नी को जब यह पता चला कि उसका पति कुछ ना लाया तब वह बहुत उदास हुई। अपनी पत्नी का उदास चेहरा देख चोंथा बेटा रात भर सो ना सका।
अगले दिन तीज थी जिस वजह से सत्तू लाना अभी जरुरी हो गया था। वह अपने बिस्तर से उठा और एक किरणे की दुकान में चोरी करने के इरादे से घुस गया। वहां वह चने की दाल लेकर उसे पीसने लागा, जिससे आवाज हुई और उस दुकान का मालिक उठ गया। उन्होंने उससे पुछा यहाँ क्या कर रहे हो? तब उसने अपनी पूरी गाथा उसे सुना दी। यह सुन बनिए का मन पलट गया और वह उससे कहने लगा कि तू अब घर जा, आज से तेरी पत्नी का मायका मेरा घर होगा। वह घर आकर सो गया।
अगले दिन सुबह सुबह ही बनिए ने अपने नौकर के हाथ 4 तरह के सत्तू, श्रृंगार व पूजा का सामान भेजा। यह देख छोटी बहुत खुश हो गई। उसकी सब जेठानी उससे पूछने लगी की उसे यह सब किसने भेजा। तब उसने उन्हें बताया की उसके धर्म पिता ने यह भिजवाया है। इस तरह भगवान ने उसकी सुनी और पूजा पूरी करवाई।