भगवान ने सभी को एक सामान बनाया है। सभी को उनकी योग्यता के अनुसार गुण दिए है। कोई भी किसी से कम नहीं होता। आज इसी बात से सम्बंधित हम आपके समक्ष 1 कथा पेश कर रहे है जो आपको आपके गुणों या अवगुणों को स्वीकार करने में मदद करेगी। ये कहानी है 1 कव्वे और तोते की है।
हम सभी इस बात को जानते है की कव्वे का रंग काला होता है। और तोता बेहद खूबसूरत पक्षी होता है। लेकिन आपको बता दे की ऐसा शुरू से नहीं था। भगवान ने इन दोनों को ही 1 रंग का पक्षी बनाया था, कव्वे को तो इस बात से कोई परेशानी नहीं थी लेकिन इस बात से तोता खुश नहीं था. उसने भगवान को बोला की मुझे कुरूप और काला बनके नहीं रहना मुझे सुन्दर बनना है। तो भगवान ने तोते की बात मान ली और उसे सुन्दर पक्षी बना दिया। आज अगर हम देखे तो भगवान ने तोते को सुन्दर तो बनाया लेकिन उससे उसकी आज़ादी छीन ली।
आज कव्वा तो आज़ाद होकर इधर से उधर उड़ता है, उसे कोई बंदिश में नहीं रखता न ही पिंजरे में रखता है लेकिन तोते को अपनी आज़ादी खोनी पड़ी। खूबसूरत होने की वजह से लोग तोते को पिंजरे में रखने लगे और उसकी खूबसूरती ही उसकी दुश्मन बन गयी है।
इस कहानी से हमें ये सीखने को मिलता है की जिसको भगवान ने जैसा बनाया है उसे उन्ही गुणों और अवगुणों को स्वीकार करलेना चाहिए। ऐसा नहीं सोचना चाहिए की मेरा रंग गोरा क्यों नहीं है,में काला क्यों हूँ आदि। हम सब एक है और बनाने वाला भगवान भी एक है।