कहीं आप भी तो नहीं करते सूर्यदेव को जल देते समय ये गलतियां

आप में से कई लोग स्नान के बाद सूर्य देवता को जल चढ़ाते होंगे जो कि भगवान की पूजा का एक जरिया हैं। शास्त्रों में इसका बड़ा महत्व बताया गया हैं। सूर्यदेव को हर रोज जल देने से जीवन में सकारात्मकता का संचार होता हैं और हर कार्य में सफलता मिलती है। इसी के साथ ही कुंडली में व्याप्त सभी दोष भी समाप्त हो जाते हैं। लेकिन सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय कुछ सावधानियां बरतनी होती हैं ताकि इसका पूर्ण लाभ मिल सकें। तो आइये जानते हैं इनके बारे में।

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान

सूर्यदेव को जल अर्पित करते से पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना बहुत जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, ऐसे समय में सूर्य देव को जल अर्पित किया जाए तो उनके साथ नौ ग्रहों की कृपा बनी रहती है। ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य का रंग लाल होता है और आप जब जल चढ़ाते हैं तो बहुत शुभ फल मिलता है।

तांबे के पात्र का इस्तेमाल

सूर्यदेव को हमेशा तांबे के पात्र से जल देना चाहिए और पात्र को दोनों हाथों से पकड़ना चाहिए। ध्यान रहे कि पात्र में अक्षत, फूल या फिर रोली होनी चाहिए। ऐसा करने से ईश्वर की हमेशा आप पर कृपा बनी रहती है और उनके आशीर्वाद से सभी कार्य पूरे होते हैं।

हाथों की सही स्थिति

सूर्य को अर्घ्य देते समय ध्यान रखना चाहिए कि आपका हाथ सिर से ऊपर हो और फिर गिरती धार से सूर्य की किरण को जरूर देखना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से सूर्य की सातों किरण आपके शरीर पर पड़ती हैं, इससे आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।

इस दिशा में सूर्य को दें जल

सूर्य देव के अर्घ्य हमेशा पूर्व दिशा की ओर ही मुख करके देना चाहिए और अर्घ्य देते समय ओम सूर्याय नम: मंत्र का जप करते रहना चाहिए। साथ ही ध्यान रखें कि नंगे पैर ही सूर्य को जल चढ़ाएं। ऐसा करने से समाज में सम्मान मिलता है और रुके हुए कार्य भी पूरे होते हैं।

पैरों पर न पड़े जल के छीटें

सूर्य को जल देते समय ध्यान रहे कि जल के छीटें आपके पैरों पर न पड़े। माना जाता है कि ऐसा होने पर सूर्य को जल देने से मिलने वाला फल नहीं मिलता है। साथ ही अशुभ प्रभाव भी पड़ता है।