रमज़ान से जुड़े कुछ खास तथ्य, जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं

हिजरी या इस्लामी चन्द्र कैलेंडर के नौवें महीने को ‘रमदान-अल-मुबारक’ या रमदान कहा जाता है। इस पूरे महीने में दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा रोज़े रखे जाते हैं जिसमें इस दौरान दिनभर कुछ भी खाना या पीना मना होता है। रमज़ान के महीने को नेकियों, आत्मनियंत्रण और खुद पर संयम रखने का महीना माना जाता है। इस दौरान रोज़े रख भूखे रहने से दुनियाभर के गरीब लोगों की भूख और दर्द को समझा जाता है। क्योंकि तेज़ी से आगे बढ़ते दौर में लोग नेकी और दूसरों के दुख-दर्द को भूलते जा रहे हैं। रमज़ान में इसी दर्द को महसूस किया जाता है। सिर्फ भूखे रहकर दूसरों के दर्द को समझने के अलावा इस महीने के रोज़े को कान, आंख, नाक और जुबान का रोज़ा भी माना जाता है। मान्यता है कि रोज़े के दौरान ना बुरा सुना जाता है, ना बुरा देखा जाता है, ना बुरा अहसास किया जाता है और ना ही बुरा बोला जाता है। यह पूरा महीना आत्मनियंत्रण और खुद पर संयम रखने का महीना होता है। इसी वजह से हर मुसलमान रोज़ा रख खुद को बाहरी और अंदरूनी हर तरफ से पाक रखता है। यानी खुद की इच्छाओं पर संयम रख बुरी आदतों को छोड़ने की ओर प्रयास करता है।

रमज़ान से जुड़े खास तथ्य

- रमज़ान के महीने के दौरान हर मुसलमान रोज़े रखता है। छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को छोड़कर।
- इस महीने में शाम की इफ्तार का खास भोजन खजूर होता है। इसके पीछे की मान्यता है कि पैगम्बर मोहम्मद ने अपने रोज़े भी खजूर खाकर खोले थे।
- रमज़ान का महीना पूरे 30 दिन का होता है और हर दिन रोज़ा रखा जाता है। मान्यता है कि इस महीने हर रोज़ कुरान पढ़ने से ज़्यादा सबाब मिलता है।
- रमज़ान के महीने को तीन भागों में बांटा जाता है। 10 दिन के पहले भाग को 'रहमतों का दौर' बताया गया है। 10 दिन के दूसरे भाग को 'माफी का दौर' कहा जाता है और 10 दिन के आखिरी हिस्से को 'जहन्नुम से बचाने का दौर' पुकारा जाता है।
- रोज़ा के दौरान मुसलमान खाने-पीने से दूर रहने के साथ-साथ सेक्स, अपशब्द, गुस्सा करने से भी परहेज करते हैं। इस दौरान कुरान पढ़कर और सेवा के जरिए अल्लाह का ध्यान किया जाता है।
- रमज़ान के महीने के एक दिन शब-ए-कद्र मनाई जाती है, जो कि इस बार 11 जून को है। इस दिन सभी मुस्लिम रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं।
- इस बार रमज़ान में 5 जुमे पडेंगे। रमज़ान का आखिरी जुमा 15 जून को होगा, जिसे अलविदा जुमा कहा जाता है।
- आपने देखा होगा कि रमज़ान की हर तस्वीर में लालटेन ज़रूर होगा। इस लालटेन की कहानी है कि रमज़ान के महीने में मिस्र के बाजारों में लोग बड़ी-बड़ी लालटेन लगाकर सड़कों को सजाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि मिस्र के खलीफा का स्वागत राजधानी काहिरा में लालटेन लगा कर किया जाता है।
- रोज़े की शुरुआत सुबह सूरज के निकलने से पहले के भोजन से होती है जिसे 'सुहूर' कहा जाता है और सूरज डूबने के बाद के भोजन को 'इफ्तार' कहा जाता है।
- रमज़ान को नेकियों का मौसम और मौसम-ए-बहार (बसंत) भी कहा जाता है।