श्राद्ध पक्ष की अमावस्या का महत्व

पितृपक्ष में सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या का बहुत महत्व है. इस तिथि पर सभी पितृों का श्राद्ध किया जा सकता है. यदि किसी कारण से पितृपक्ष की अन्य तिथियों पर पितृों का श्राद्ध करने से भूल गये हों या पितृों की तिथि याद नहीं हो तो इस तिथि पर श्राद्ध सम्पन्न किया जा सकता है इस अमावस्या का महत्व सिर्फ इसलिए नहीं है कि यह श्राद्धपक्ष का अंतिम दिन है और इस दिन समस्त ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है. आइये जानते हैं इस अमावस्या के महत्व के बारे में.

# इस दिन ब्रह्म मुहूर्त से लेकर रात्रि पर्यन्त तक कई टोटके किए जाते हैं ताकि जीवन में किसी प्रकार के रोग, शोक, दुख, कमी, हानि, अपयश का सामना न करना पड़े.

# शास्त्रीय मान्यता है कि सर्व पितृ दोष अमावस्या अथवा महालया को पितरों के निमित तर्पण, श्राद्ध, एवं दान करने से पितृ अपने वंशजो से अत्यंत प्रसन्न रहते है और उसके जीवन में कोई भी संकट किसी भी वस्तु का आभाव नहीं रहता है.

# सर्वपितृ अमावस्या के लिए पितरों के निमित्त खीर बनाएं. उस खीर में से थोड़ा सा भाग लेकर किसी चांदी के बर्तन, कटोरी आदि में रखें. कुछ देर पश्चात चांद के बर्तन वाली खीर पूरी खीर में मिलाकर 21 कन्याओं और सात बालकों को खिलाएं. ऐसा करने से धन संबंधी परेशानी दूर होने लगती है.

# पितृपक्ष में अमावस्या श्राद्ध का भी विशेष महत्व है. इस श्राद्ध को अमावस्या श्राद्ध भी कहा जाता है. इस दिन सभी पितरों के श्राद्ध किया जाता है. इस दिन का श्राद्ध करने से सभी पितरों को मुक्ति मिल जाती है.