शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ दिलाता है सभी पापों से मुक्ति, सावन के महीने में जरूर करें

सावन के महीने को भगवान शिव की भक्ति के लिए जाना जाता हैं। इस महीने में किये गए पूजा-पाठ भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं और सभी कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि श्रावण मास में शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने मात्र से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती हैं और जीवन के साभी पापों से मुक्ति मिलती हैं। जी हाँ, भगवान शिव को पुष्पदंत द्वारा रचित शिव महिम्न स्तोत्र से सरलता से प्रसन्न किया जा सकता है। इस महिम्न स्तोत्र में भगवान शिव के रूप और सादगी का वर्णन मिलता हैं। इसलिए सावन के दिनों में शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। आज हम आपको इस महिम्न स्तोत्र के पीछे की अनूठी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं।

एक समय में चित्ररथ नाम का राजा था। वो परम शिव भक्त था। उसने एक अद्भुत सुंदर बाग का निर्माण करवाया। जिसमें विभिन्न प्रकार के पुष्प लगे थे। प्रत्येक दिन राजा उन पुष्पों से शिव जी की पूजा करते थे। फिर एक दिन पुष्पदंत नामक गन्धर्व उस राजा के उद्यान की तरफ से जा रहे थे। उद्यान की सुंदरता ने उसे आकृष्ट कर लिया। मोहित पुष्पदंत ने बाग के पुष्पों को चुरा लिया। अगले दिन चित्ररथ को पूजा हेतु पुष्प प्राप्त नहीं हुए।

बाग के सौंदर्य से मुग्ध पुष्पदंत प्रत्येक दिन पुष्प की चोरी करने लगा। इस रहस्य को सुलझाने के राजा के प्रत्येक प्रयास विफल रहे। पुष्पदंत अपनी दिव्य शक्तियों के कारण अदृश्य बना रहे। राजा चित्ररथ ने एक अनोखा समाधान निकाला। उन्होंने शिव को अर्पित पुष्प एवं विल्व पत्र बाग में बिछा दिया। राजा के उपाय से अनजान पुष्पदंत ने उन पुष्पों को अपने पैरो से कुचल दिया। इससे पुष्पदंत की दिव्य शक्तिओं का क्षय हो गया।

पुष्पदंत स्वयं भी शिव भक्त था। अपनी गलती का बोध होने पर उसने इस परम स्तोत्र के रचना की जिससे प्रसन्न हो महादेव ने उसकी भूल को क्षमा कर पुष्पदंत के दिव्य स्वरूप को पुनः प्रदान किया।