आज है पौष पुत्रदा एकादशी, इन नियमों का पालन कर उठाए लाभ

हर महीने में दो पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष जिनमें एकादशी तिथि को विशेष माना जाता हैं। हरि नारायण को समर्पित यह तिथि बेहद शुभ मानी जाती हैं और अत्यंत लाभकारी होती हैं। लेकिन इसी के साथ ही एकादशी से जुड़े कुछ नियमों का ध्यान रखने की जरूरत होती हैं ताकि पूरा लाभ मिल सकें। आज हम आपको इसी के कुछ नियमों की जानकारी देने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

- ब्रह्मचर्य का पालन करें तथा भोग विलास से भी दूर रहें।

- एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ शुद्ध कर लें।

- वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें।

- स्नानादि कर मंदिर में जाकर गीता पाठ करें या पुरोहितादि से श्रवण करें।

- एकादशी के दिन अशुद्ध द्रव्य से बने पेय न पिएं। कोल्ड ड्रिंक्स, एसिड आदि डाले हुए फलों के डिब्बाबंद रस को न पिएं।

- भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाए तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा मांग लेनी चाहिए।

- एकादशी के दिन घर में स्वयं झाडू नहीं लगाएं, इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है।

- इस दिन बाल नहीं कटाएं।

- मधुर बोलें, अधिक न बोलें, अधिक बोलने से न बोलने योग्य वचन भी निकल जाते हैं।

- इस दिन यथाशक्ति अन्नदान, तिल दान करें किन्तु स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें।

- प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करनी चाहिए।