आलस्य को दूर भगाए इन ज्योतिषीय उपायों से

आलस्य शब्द सुनने में बहुत छोटा हैं लेकिन इसका जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता हैं। अब देख लीजिये इसकी शक्ति की इस शब्द को सुनते या पढ़ते ही व्यक्ति में कहीं ना कहीं आलस्य का भाव उत्पन्न हो जाता हैं। आलस्य व्यक्ति को नाकारा बना देता हैं। आलस्य या प्रमाद का दूसरा मतलब ही हैं सफलता में बाधा। इसलिए व्यक्ति को आलस्य त्यागकर अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाना चाहिए और उसे पाने की कोशिश करनी चाहिए। कई बार ऐसा होता हैं जिस कार्य में हमारा मन नहीं लगता या जो कार्य हमें पसंद नहीं हैं तो उसको करने में व्यक्ति को आलस्य आने लगता हैं, जो कि उसके जीवन में सफलता को प्राप्त करने का बाधक हैं। इसलिए अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा हो रहा हो और किसी कार्य में आलस्य का आभास हो रहा हो तो आप इन ज्योतिषीय उपायों से आलस्य को दूर भगा सकते हैं। तो आइये जानते हैं उन ज्योतिषीय उपायों के बारे में जो आलस्य से आपकी दूरी बनाये रखें, लेकिन तब जब आप इन उपायों को करने में आलस्य ना दिखाए।

* जातक को सुबह स्नान करते समय रेशम का एक धागा हाथ में लेकर उसे सूर्य की और मुंह करके खड़े हो जाए और दिए गये उक्त मंत्र 108 बार जाप करें फिर जाप करने के बाद धागा को अपने बाए हाथ के अगुठे पर बांध दे। यदि आप किसी कारणवश अगर धागा नहीं बांध सकते तो दिए गए मन्त्र का प्रतिदिन नियम बनाकर अपनी एक टांग पर खड़े होकर इस मन्त्र (आलस्य दूर करने का मंत्र) का जाप करे। मन्त्र है “ओ३म नमो भगवते सूर्याय स्वाहा”।

* यदि आप आलस्य भगाने के लिए, किसी निराशा से, या गृह कलह से व् विघ्न दूर करने के लिए “श्री गणेश जी” की विघ्नराज रूप में आराधना करनी चाहिए व दिए गये मन्त्र का जाप करना चाहिए : मन्त्र है “गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:"।

* यदि किसी व्यक्ति को ऐसा महसूस हो कि आलस्य प्रमाद के कारण उसे वांछित सफलता नहीं मिल रही है या उसका मन कामकाज में नहीं लग रहा है तो उसे कटेरी की जड़ शहद में पीस लेनी चाहिए तथा मात्र इसके सूंघने से आलस्य प्रमाद से राहत मिलेगी, आप ऊर्जावान होंगे।