रुद्राक्ष दूर करेगा कुंडली के अशुभ योग, जानें किस परेशानी में कितने मुखी करें धारण

सावन के इस महीने को शिव का महीना कहा जाता हैं जो कि पूजा-पाठ और भक्ति के लिए जाना जाता हैं। इस महीने में शिव का रुद्राक्ष धारण किया जाता हैं जो कि शुभ रहता हैं। रुद्राक्ष शिव का आंसू होता हैं जो सकारात्मकता का संचार करता हैं। रुद्राक्ष कुंडली के अशुभ योग भी दूर करने का काम करता हैं। लेकिन इसके साथ ही यह जानना जरूरी हैं कि आपके किस योग के लिए कौनसा रुद्राक्ष धारण किया जाना चाहिए। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

मांगलिक योग एवं रुद्राक्ष का उपाय

कुंडली में मंगल दोष का निर्माण तब होता है जब कुंडली के लग्न से और चंद्र लग्न से मंगल पहले, दूसरे, तीसरे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में विराजमान होता है। इसके कारण व्यक्ति के जीवन में परेशानी आ सकती है और विवाह में देरी हो सकती है। वहीं ऐसे जातकों का यदि विवाह हो जाए तो वैवाहिक जीवन में भी कुछ न कुछ परेशानियां चलती रहती हैं। मंगल दोष से मुक्ति पाने के लिए ऐसे लोगों को तीन मुखी रुद्राक्ष, ऊं क्लीं नमः मंत्र का जप करने के बाद धारण करना चाहिए।

संकट योग एवं रुद्राक्ष का उपाय

दोस्तों जब कुंडली में चंद्रमा और गुरु 6-8 का संबंध बना रहे हों यानी कि गुरु चंद्रमा से छठे भाव में और चंद्रमा गुरु से अष्टम भाव में हो तो सकट योग का निर्माण होता है। इस योग के कुंडली में होने से जीवन में अड़चनें आती हैं। इस योग के दुष्प्रभावों से बचने के लिए दो मुखी और 10 मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ माना जाता है। यह रुद्राक्ष आपको ऊं नमः एवं ऊं ह्रीं नमः मंत्र का यथासंभव जप करने के बाद धारण करना चाहिए।

अंगारक योग और रुद्राक्ष का उपाय

दोस्तों जब भी कुंडली में राहु और मंगल किसी भाव में युति बना लेते हैं तो अंगारक योग का निर्माण होता है। इस योग के कुंडली में होने से व्यक्ति में अत्यधिक क्रोध देखा जा सकता है साथ ही भटकाव की स्थिति भी ऐसे जातक के जीवन में रहती है। इस योग से मुक्ति पाने के लिए तीन मुखी और 8 मुखी रुद्राक्ष पहनना शुभ माना जाता है। रुद्राक्ष पहनते समय आपको ऊं क्लीं नमः या ऊं हूं नम मंत्र का जप करना चाहिए।

गुरु चांडाल योग और रुद्राक्ष का उपाय

दोस्तों जब भी कुंडली में बृहस्पति की युति राहु या केतु से हो जाती है तो इस योग को चांडाल योग कहा जाता है। इस योग के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए 8 मुखी या 10 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए और रुद्राक्ष को धारण करते समय ऊं ह्रीं नमः मंत्र का जप आपको करना चाहिए।

पाप कर्तरी योग और रुद्राक्ष का उपाय

दोस्तों कुंडली में यह योग तब बनता है जब किसी भाव के दोनों ओर पाप ग्रह विराजमान हों या किसी ग्रह के दोनों और पाप ग्रह विराजमान हो। पाप ग्रह मंगल, शनि, राहु और केतु को माना जाता है। पाप ग्रह जिस भी भाव या ग्रह को प्रभावित करते हैं उस भाव और ग्रह का फल खराब हो सकता है इसलिए पाप कर्तरी योग के दुष्प्रभाव से बचने के लिए आपको उस भाव से संबंधित ग्रह या उस ग्रह का रुद्राक्ष धारण करना चाहिए जो पाप ग्रहों के कारण पीड़ित हो गया है।

जड़त्व योग और रुद्राक्ष का उपाय

दोस्तों कुंडली में इस योग का निर्माण तब होता है जब बुध की युति राहु या केतु के साथ हो जाती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति की स्मरण शक्ति खराब हो सकती है और वह मानसिक रूप से परेशान हो सकता है। ऐसे लोगों को जड़त्व योग के बुरे प्रभाव से बचने के लिए आठ मुखी या 9 मुखी रुद्राक्ष ऊं ह्रीं नमः मंत्र के जप के साथ धारण करना चाहिए।