शनि की साढ़े साती और ढैय्या जीवन में लाती हैं परेशानियां, इन उपायों से मिलेगी राहत

आज शनिवार हैं जो कि शनिदेव और शनि ग्रह को समर्पित माना जाता हैं। शनि को न्याय का देवता माना गया हैं जो कि व्यक्ति के शुभ-अशुभ काम की वजह से निश्चित होता हैं। आपने सुना ही होगा कि शनि की साढ़े साती और ढैय्या किसी भी व्यक्ति के जीवन में परेशानियां लेकर आती हैं। ऐसे में आपको यह जानना जरूरी हैं कि शनि की साढ़े साती और ढैय्या क्या होती हैं एवं इसके प्रकोप से कैसे बचा जा सकता हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

क्या होती है शनि की साढ़े साती?

शनि की साढ़े साती को आसान भाषा में समझिए, शनि का गोचर जब आपकी जन्म कुंडली में बैठे चंद्रमा से बारहवें भाव में हो तो समझिए आपकी साढ़े साती शुरु हो गई है। इसका असर सात वर्षों तक आपके जीवन पर पड़ेगा। बारहवें भाव में यह ढाई वर्ष तक रहेगा, जो आपकी साढ़े साती का प्रथम चरण होगा। साढ़े साती के दूसरे चरण में शनि आपके लग्न भाव में ढाई साल तक बैठेगा। फिर इसी क्रम में अपने तीसरे और आखिरी चरण में यह आपके दूसरे भाव में ढाई साल तक रहेगा।

क्या होती है शनि की ढैय्या

शनि के गोचर को ही ढैय्या कहते हैं। क्योंकि शनि एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए ढाई वर्ष का समय लेता है। जब व्यक्ति की साढ़े साती प्रारंभ होती है तो सबसे पहले उसकी ढैय्या चलती है।

साढ़े साती और शनि ढैय्या के उपाय

- शनिवार को भगवान शनि की पूजा करें।
- किसी अच्छे ज्योतिष के परामर्श से नीलम रत्न पहनें।
- हनुमान जी की पूजा-आराधना करें।
- महा मृत्युंजय मंत्र को पढ़ते हुए भगवान शिव की पूजा करें।
- काला चना, सरसों का तेल, लोहे का सामान एवं काली वस्तुओं का दान करें।
- शनिवार को सरसों या तिल के तेल को शनि देव पर चढ़ाएं।