कहा जाता है कि हर मौसम का अपना रंग होता हैं। खासकर महिलाओं के लिए तो हर मौसम का अपना रंग होता ही हैं। आध्यात्मिक रूप से महिलाऐं त्योंहार के अनुसार रंगों का चुनाव करती हैं। जैसे बसंत में अधिकांशत: महिलाओं के कपड़ों का रंग पीला होता हैं, उसी तरह सावन के महीने में महिलाओं के परिधान का रंग हरा हो जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता हैं। अगर नहीं जानते तो आइये हम बताते हैं आपको इस बारे में।
सावन माह में सुहागिनों के बहुत सारे पर्व आते हैं, जिनमें कज्जली तीज और हरियाली तीज मुख्य हैं इन पर्वों पर हरे वस्त्र, हरी चूड़ियां और मेंहदी लगाने का नियम प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। इससे श्री और सौभाग्य में वृद्घि होती है, पति-पत्नी के संबंध प्रगाढ़ बनते हैं। जिस प्रकार से लाल रंग एक सुहागन स्त्री के जीवन में सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
उसी प्रकार से हरा रंग भी उसके वैवाहिक जीवन में खुशहाली का प्रतीक माना जाता है माना जाता है इस माह में यदि स्त्री हरे रंग की चूड़ियां पहनती हैं तो उसको भगवान शिव का आशीष मिलता है और उसके पति की उम्र भी लंबी होती है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बुद्ध ग्रह मानव के व्यवसाय तथा कैरियर से जुड़ा होता है बुद्ध का रंग हरा होता है अतः जो इस रंग को धारण करता है वह अपने कैरियर तथा व्यापार में सफलता हासिल करता है।
सावन का माह भगवान शिव का माह कहा जाता है भगवान शिव हमेशा प्रकृति के करीब रहें हैं इसलिए ही उनको हरा रंग बहुत प्रिय है सावन के माह में चारों और हरियाली भी होती ही है अतः मान्यता है इस माह में हरा रंग किसी भी रूप में धारण करने से मानव का सौभाग्य बढ़ता है और उसको भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होती है।