गणेश चतुर्थी Ganesh Chaturthi 2018 का त्योहार गणेश महोत्सव के रूप में मनाया जाता हैं। जो पूरे 10 दिन अर्थात गणेश चतुर्थी से लेकर अनन्त चतुर्दशी तक मनाया जाता हैं। इन 10 दिनों में भगवान गणेश का पूजन किया जाता हैं और कई तरह के भोग लगाए जाते हैं। लेकिन पूजन में तुलसी का उपयोग नहीं किया जाता हैं। जी हाँ, श्रीगणेश के पूजन में कभ भी तुलसी को काम में नहीं लिया जाता हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा हैं, आज हम आपको उस कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इस कथा के बारे में।
प्राचीन समय की बात है। भगवान श्री गणेश गंगा के तट पर भगवान विष्णु के घोर ध्यान में मग्न थे। गले में सुन्दर माला, शरीर पर चन्दन लिपटा हुआ था और वे रत्न जडित सिंगासन पर विराजित थे। उनके मुख पर करोडो सूर्यो का तेज चमक रहा था। वे बहुत ही आकर्षण पैदा कर रहे थे। इस तेज को धर्मात्मज की यौवन कन्या तुलसी ने देखा और वे पूरी तरह गणेश जी पर मोहित हो गयी। तुलसी स्वयं भी भगवान विष्णु की परम भक्त थी। उन्हें लगा की यह मोहित करने वाले दर्शन हरि की इच्छा से ही हुए है। उसने गणेश से विवाह करने की इच्छा प्रकट की।
भगवान गणेश ने कहा कि वह ब्रम्हचर्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं और विवाह के बारे में अभी बिलकुल नहीं सोच सकते। विवाह करने से उनके जीवन में ध्यान और तप में कमी आ सकती है। इस तरह सीधे सीधे शब्दों में गणेश ने तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया। धर्मपुत्री तुलसी यह सहन नही कर सकी और उन्होंने क्रोध में आकार उमापुत्र गजानंद को श्राप दे दिया की उनकी शादी तो जरुर होगी और वो भी उनकी इच्छा के बिना।
ऐसे वचन सुनकर गणेशजी भी चुप बैठने वाले नही थे। उन्होंने भी श्राप के बदले तुलसी को श्राप दे दिया की तुम्हारी शादी भी एक दैत्य से होगी। यह सुनकर तुलसी को अत्यंत दुःख और पश्चाताप हुआ। उन्होंने गणेश से क्षमा मांगी। भगवान गणेश दया के सागर है वे अपना श्राप तो वापिस ले ना सके पर तुलसी को एक महिमापूर्ण वरदान दे दिए।
दैत्य के साथ विवाह होने के बाद भी तुम विष्णु की प्रिय रहोगी और एक पवित्र पौधे के रूप में पूजी जाओगी। तुम्हारे पत्ते विष्णु के पूजन को पूर्ण करेंगे। चरणामृत में तुम हमेशा साथ रहोगी। मरने वाला यदि अंतिम समय में तुम्हारे पत्ते मुंह में डाल लेगा तो उसे वैकुंट लोक प्राप्त होगा।
ध्यान रखे गणेश चतुर्थी पूजा विधि या संकट चतुर्थी पर जब भी गणपति जी की पूजा करे तो तुलसी जी को उनसे दूर ही रखे।