रक्षाबंधन आज, धर्म ग्रंथों के बताए गए हैं ये 7 तरह के रक्षा सूत्र

आज रक्षाबंधन पर्व मनाया जा रहा है। सावन महीने के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा पर ये त्योहार मनाया जाता है। इस बार रक्षाबंधन पर सुबह 9:29 बजे तक भद्रा रहेगी। भद्रा के बाद ही बहनों को अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधना चाहिए। 3 तारीख को सुबह 7:30 बजे के बाद पूरे दिन श्रवण नक्षत्र रहेगा। इसके साथ ही पूर्णिमा भी रात में 9:30 तक रहेगी। इसलिए सुबह 9:29 के बाद पूरे दिन राखी बांध सकते हैं।

- सुबह 9:35 से 11:07 तक
- दोपहर 2:35 से 3:35 तक
- शाम 4:00 से रात 8:35 तक

धर्म ग्रंथों के बताए गए हैं 7 तरह के रक्षा सूत्र

विप्र रक्षा सूत्र - रक्षाबंधन के दिन किसी तीर्थ या जलाशय में जाकर वैदिक अनुष्ठान के बाद सिद्ध रक्षा सूत्र को विद्वान पुरोहित ब्राह्मण द्वारा स्वस्तिवाचन करते हुए यजमान के दाहिने हाथ मे बांधना शास्त्रों में सर्वोच्च रक्षा सूत्र माना गया है।

गुरु रक्षा सूत्र - गुरु अपने शिष्य के कल्याण के लिए इसे अपने शिष्य के दाहिने हाथ में बांधते है।

मातृ-पितृ रक्षा सूत्र - अपनी संतान की रक्षा के लिए माता-पिता द्वारा बांधा गया रक्षा सूत्र शास्त्रों में करंडक कहा जाता है।

स्वसृ-रक्षा सूत्र - कुल पुरोहित या वेदपाठी ब्राह्मण के रक्षा सूत्र बांधने के बाद बहन भाई की दाईं कलाई पर मुसीबतों से बचाने के लिए रक्षा सूत्र बांधती है। भविष्य पुराण में भी इस बारे में बताया गया है। इससे भाई की उम्र और समृद्धि बढ़ती है।

गौ रक्षा सूत्र - अगस्त संहिता के अनुसार गौ माता को राखी बांधने से हर तरह के रोग- शोक और दोष दूर होते हैं। यह विधान भी प्राचीन काल से चला आ रहा है।

वृक्ष रक्षा सूत्र - किसी का कोई भाई ना हो तो उसे बरगद, पीपल, गूलर के पेड़ को रक्षा सूत्र बांधना चाहिए। पुराणों में ये बात खासतौर से बताई गई है।

अश्वरक्षा सूत्र - ज्योतिष ग्रंथ बृहत्संहिता के अनुसार पहले घोड़ों को भी रक्षा सूत्र बांधा जाता था। इससे सेना की भी रक्षा होती थी। आजकल घोड़ों की जगह गाड़ियों को भी ये सूत्र बांधा जाता है।