रक्षाबंधन के इस पावन पर्व को भाई-बहिन के प्रेम का रिश्ता माना जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इस त्योंहार का पौराणिक रूप से बड़ा महत्व हैं जो भाई-बहिन के अलावा भी रिश्तों के बीच की मजबूती को दर्शाता हैं। आज हम आपको पौराणिक कथाओं में प्रचलित इंद्रदेव से जुडी कहानी बताने जा रहे हैं जिसमें एक धागे ने इंद्रदेव को असुरों पर विजय दिलाई। तो आइये जानते हैं इस कथा के बारे में।
भविष्यत पुराण के अनुसार दैत्यों और देवताओं के मध्य होने वाले एक युद्ध में भगवान इंद्र को एक असुर राजा, राजा बलि ने हरा दिया था। इस समय इंद्र की पत्नी सची ने भगवान विष्णु से मदद माँगी। भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया। इस वलय को भगवान विष्णु ने पवित्र वलय कहा। सची ने इस धागे को इंद्र की कलाई में बाँध दिया तथा इंद्र की सुरक्षा और सफलता की कामना की।
इसके बाद अगले युद्द में इंद्र बलि नामक असुर को हारने में सफ़ल हुए और पुनः अमरावती पर अपना अधिकार कर लिया। यहाँ से इस पवित्र धागे का प्रचलन आरम्भ हुआ। इसके बाद युद्द में जाने के पहले अपने पति को औरतें यह धागा बांधती थीं। इस तरह यह त्योहार सिर्फ भाइयों बहनों तक ही सीमित नहीं रह गया।