रक्षाबंधन का त्योंहार त्रेतायुग से चला आ रहा हैं, जो प्यार और बलिदान का प्रतीक माना जाता हैं। साधारण इंसान ही नहीं अपितु भगवान को भी इस रक्षासूत्र की वजह से कई समस्याओं से छुटकारा मिला हैं। आज रक्षाबंधन के इस पावन पर्व पर हम आपको पौराणिक काल की एक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें माँ लक्ष्मी ने बलि को रक्षा धागा बाँध कर भगवान विष्णु को वचन से मुक्ति दिलाई। तो आइये जानते हैं इस किस्से के बारे में।
भगवत पुराण और विष्णु पुराण के आधार पर यह माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को हरा कर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया, तो बलि ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्राह किया। भगवान विष्णु इस आग्रह को मान गये। हालाँकि भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी को भगवान विष्णु और बलि की मित्रता अच्छी नहीं लग रही थी, अतः उन्होंने भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ठ जाने का निश्चय किया।
इसके बाद माँ लक्ष्मी ने बलि को रक्षा धागा बाँध कर भाई बना लिया। इस पर बलि ने लक्ष्मी से मनचाहा उपहार मांगने के लिए कहा। इस पर माँ लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को इस वचन से मुक्त करे कि भगवान विष्णु उसके महल मे रहेंगे। बलि ने ये बात मान ली और साथ ही माँ लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में भी स्वीकारा।