गुरु पूर्णिमा हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती हैं। इस वर्ष यह 27 जुलाई 2018 (शुक्रवार) को है। गुरु पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं। महर्षि वेद व्यास को चारों वेदों के रचयिता माना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन वेद व्यास जी की पूजा की जाती है। आपको ज्ञात होगा कि एकलव्य ने अपने गुरु द्रोणाचार्य को गुरूदक्षिणा के तौर पर अपना अंगूठा काटकर दे दिया था। उसी तरह गुरुपूर्णिमा के इस पावन दिन सभी श्रद्धापूर्वक अपनी शक्ति और क्षमता के अनुसार गुरु को दक्षिणा देकर कृतकृत्य होते हैं और उनकी पूजा करते हैं। हम आपको गुरुपूर्णिमा की पूजा-विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं पूजा-विधि।
* गुरु पूर्णिमा पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातः जल्दी उठकर घर की सफाई करें। स्नानादि के पश्चात् साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद घर के मंदिर या किसी पवित्र स्थान पर पटिए पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं। इसके बाद इस मंत्र का जाप करके पूजन का संकल्प लें - 'गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये'। संकल्प लेने के बाद दसों दिशाओं में अक्षत (चावल) छोड़ना चाहिए। फिर व्यासजी, ब्रह्माजी, शुकदेवजी, गोविंद स्वामीजी और शंकराचार्यजी के नाम या मंत्र से पूजा का आवाहन करें। अंत में अपने गुरु अथवा उनके चित्र की पूजा करके उन्हें यथा योग्य दक्षिणा प्रदान करें। यदि आप विधिवत पूजा करने में असमर्थ हैं तो इस दिन कम से कम अपने गुरु या फिर जिस इष्ट देवता को आप मानते हैं, उनके चरण स्पर्श करें। उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार उपहार या दक्षिणा भेंट करें। केवल इतना करना भी गुरु पूर्णिमा के दिन शुभ माना गया है।