सुख-संपत्ति के प्रबल योग बनाती है घर के मंदिर में रखी ये 5 चीजें, जानें और शामिल करें

हमारे देश में आस्था और भक्ति लोगों में देखी जा सकती हैं और देश में शायद ही ऐसा कोई घर होगा जिसमें मंदिर ना हो। हर व्यक्ति अपने इष्टदेव को याद करने के लिए घर माँ मंदिर तो बनाता ही हैं फिर वह चाहे छोटा हो या बड़ा। लेकिन क्या आप जानते है कि मंदिर में भगवान के अलावा भी कुछ ऐसी चीजों को शामिल किया जाता है जो घर में सकारात्मकता लेकर आती हैं और सुख-संपत्ति के प्रबल योग बनाती है। आज हम आपको उन्हीं चीजों की जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हें आपको अपने घर के मंदिर में जरूर रखना चाहिए। तो आइये जानते हैं मंदिर में रखी जाने वाली इन चीजों के बारे में।

स्वास्तिक

स्वास्तिक हिन्दू धर्म का पवित्र धार्मिक चिह्न माना जाता है। घर के प्रवेश द्वार पर सिन्दूर से स्वास्तिक का चिह्न बनाने से घर बुरी नजर से बचा रहता है। घर के मंदिर में एक थाली पर सिन्दूर के इस्तेमाल से स्वास्तिक का चिह्न बनाकर इस थाली को रखना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शंख

समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त होने वाली मूल्यवान वस्तुओं में से एक शंख भी था। इसे पूजा में बेहद पवित्र माना जाता है। जिस घर में सुबह-शाम दो बार शंख की ध्वनि बजती है, वह घर रोग, शोक और दुविधा से दूर रहता है। ऐसे घर में सुख, संपत्ति का आगमन होता है।

घंटी

पूजा घर में एक छोटी घंटी जरूर होनी चाहिए। कुछ लोग जो विशेष रूप से बड़ा पूजा घर बनवाते हैं वे मंदिर की तरह ही अपने पूजा घर में घंटी लगवाते हैं। लेकिन अगर आप ये नहीं कर सकते तो एक छोटी सी हाथ में पकड़ने वाली घंटी रखें। रोजाना सुबह शाम पूजा के दौरान इसे बजाएं। पूजा की घंटी की आवाज से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। बुरी ऊर्जा नष्ट होती है।

कलश

घर के मंदिर में तांबे का कलश रखना शुभ माना जाता है। तांबे के कलश में पवित्र जल भरकर ऊपर से नारियल और कुमकुम लगाकर रखने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन के योग बनाती हैं। घर के मंदिर में कलश स्थापित करने के लिए खास पूजन विधि का प्रयोग भी किया जाता है।

दीया

घर को बुरी नजर से बचाने और देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए घर के मंदिर में घी या सरसों के तेल का दीया अवश्य जलाना चाहिए। कुछ लोग तो अपने मंदिर में अखंड ज्योति जलाते हैं और इसे कभी बुझने नहीं देते। मगर इसका पालन करना कठिन होता है। इसलिए सुबह और शाम दीया जलाना ही काफी होता है।