वट पूर्णिमा के दिन जरूर करें ये खास उपाय, वैवाहिक जीवन होगा खुशहाल

वट सावित्री पूर्णिमा हिंदू धर्म की उन पवित्र तिथियों में से एक है, जिसका इंतजार हर वर्ष सुहागिन महिलाएं विशेष श्रद्धा और आस्था के साथ करती हैं। यह पर्व केवल उपवास और पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें छिपे होते हैं वो धार्मिक उपाय जो वैवाहिक जीवन में प्रेम, स्थिरता और सुख-शांति लाने में सहायक माने जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने से पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है।

वट पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में वट पूर्णिमा का पर्व सुहागिनों के लिए विशेष होता है। इस दिन महिलाएं वट (बरगद) के वृक्ष की पूजा करती हैं और 7 या 11 बार परिक्रमा करती हैं। वट वृक्ष को ब्रह्मा, विष्णु और महेश – तीनों देवों का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि इस पूजा से विवाह में आई समस्याएं दूर होती हैं और पति की दीर्घायु होती है।

व्रत और तिथि की जानकारी

वर्ष 2025 में वट पूर्णिमा 10 जून को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 10 जून को सुबह 11:35 बजे शुरू होकर 11 जून दोपहर 1:13 बजे समाप्त होगी। व्रत 10 जून को रखा जाएगा, जबकि स्नान-दान 11 जून को होगा। महिलाएं इस दिन पूरे श्रद्धा से व्रत करती हैं और कथा श्रवण करती हैं।

कलह और तनाव दूर करने का उपाय

यदि किसी दंपत्ति के जीवन में कलह या अस्थिरता है, तो वट पूर्णिमा पर महिला को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। वट वृक्ष की 7 परिक्रमा कर, पेड़ पर कलावा बांधें और नीचे दीपक जलाएं। यह उपाय वैवाहिक जीवन में प्रेम और समझ बढ़ाने में सहायक माना गया है।

पति के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए


यदि पति किसी रोग से ग्रस्त हैं, तो इस दिन भगवान शिव की आराधना करें। वट वृक्ष को जल अर्पित करें, 11 परिक्रमा करें और पेड़ पर कच्चा धागा बांधते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव स्वयं आपके पति की रक्षा करते हैं।

नोट: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य सामाजिक और सांस्कृतिक जानकारी देना है, वैज्ञानिक पुष्टि नहीं की गई है।