हर इंसान अपना जीवन इस तरह जीना चाहता है जिसमें उसे जीवनभर किसी दुख की पाप्ति ना हो तथा खुशी और सम्पन्नता के साथ वह अपना जीवनयापन कर सकें। इसके लिए धर्म-ग्रंथों में बताया गया है कि व्यक्ति के अपने जीवन की आदतें ही उसके जीवन में होने वाली गतिविधियों को अंजाम देती हैं। इसलिए विदुर निति में कुछ ऐसी आदतें बताई गई हैं जिनके कारण व्यक्ति हमेशा दुखों के बीच ही रहता हैं। अगर इन आदतों को नहीं त्यागा गया तो व्यक्ति जीवनभर दुखी ही रहता हैं। तो आइये जानते हैं उन आदतों के बारे में जो बनती है आपक दुखों का कारण।
* दूसरों के भाग्य पर जीवन जीने वाला जो लोग आलसी, काम-चोर होते हैं, वे खुद कुछ मेहनत न करते हुए दूसरों के भाग्य के सहारे ही अपना जीवन जीते रहते हैं। ऐसे लोगों का साथ दुःख कभी नहीं छोड़ता।
* हमेशा शक करने वाला कुछ लोगों को हर समय दूसरों पर शक करने की आदत होती है। कोई भला ही क्यों न चाहे, लेकिन ऐसे लोग विश्वास नहीं कर पाते। बेवजह शक करने की आदत इंसान के लिए दुःख लाती है।
* असंतुष्ट रहने वाला कई लोगों के पास कितनी ही सुख-सुविधा क्यों न हो, लेकिन फिर भी वे संतुष्ट नहीं हो पाते। ऐसे लोगों को हर समय अपनी जरूरतों से ज्यादा की उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं और इसी कारण हमेशा दुखी रहते हैं।
* नफरत करने वाला जो लोग दूसरों को खुद से छोटा समझते हैं या उनके प्रति नफरत ही भावना रखते हैं। उन पर भी दुःख का साया बना रहता है। दूसरों से घृणा करने वाला मनुष्य चाहे कुछ भी कर लें, लेकिन खुद कभी खुश नहीं रह पाता ।
* जलन करने वाला जो दूसरों की ख़ुशी को देखकर दुखी होते हैं या उनसे जलन करने लगते हैं, वे कभी खुश नहीं रह पाते। ऐसे लोग चाहे कितनी ही कोशिश कर लें, लेकिन किसी न किसी कारण से उनका दुःख बना रहता है।
* हमसे गुस्सा करने वाला कई लोग बेवजह या ज्यादा गुस्सा करते हैं। गुस्सा न की सिर्फ उनका नुकसान करवाता है बल्कि दुःख का कारण भी बनता है। वे चाहे कितनी ही मेहनत करें, धन कमाएं लेकिन इस आदत की वजह से दुखी बने रहते हैं।