निर्जला एकादशी पर किस दान का है सबसे बड़ा महत्त्व? जानिए

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन अगर आपने व्रत कर लिया, तो आपको 24 यानी साल भर की एकादशी का फल मिल जाएगा, लेकिन इस एकादशी के नियम बहुत कठिन है। इस एकादशी पर निर्जल और बिना अन्न के व्रत किया जाता है और अगले दिन द्वादशी को पारणकिया जाता है, जिसमें ही जल पी सकते हैं। निर्जला एकादशी के दिन बिना पानी और बिना अन्न के रहना होता है। इस साल निर्जला एकादशी व्रत 6 जून को रखा जाएगा। इसे दिन हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, वणिज करण, अमृत योग का शुभ संयोग शुभकारी है। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है इस दिन व्रत रखने वाले भक्त भगवान विष्णु को षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन करें। इसेभीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार भीम अपनी भूख के कारण एकादशी व्रत नही रख पाते थे, तब ऋषि व्यास से ऐसा व्रत बताएं, जिसके करने से 24 एकादशी व्रत जितना पुण्य प्राप्त हो सके। ऋषि व्यास के आशीष से भीमसेन ने यह कठिन व्रत किया इसे भीमसेनी एकादशी के रूप में भी जाना जाता है।

इस दिन पानी नहीं पीते, लेकिन पानी का दान करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसका कई गुना फल मिलता है। घड़ा भरकर जलदान करना चाहिए। दान के लिए घड़ा में जलभरकर, मिठाई, फल वस्त्र, स्वर्ण आभूषण बांस का पंखा इत्यादि अपने व्यवस्था के अनुसार दान करने से सारे कष्ट दूर होते हैं। बिना जल के उपवास रखने वाला यह कठिन व्रत साल भर की सभी एकादशियों के पुण्य के बराबर फल देता है। इसके अलावा अपने पितरों आदि के लिए भी दान करना शुभ माना जाता है। इस साल 5 तारीख को तड़के 3 बजे एकादशी तिथि लग जाएगी और 6 जून की रात को 5 बजे समाप्त होगी।

डिस्क्लेमर:
यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पंचांग आधारित जानकारी पर आधारित है। किसी विशेष निर्णय या अनुष्ठान से पहले योग्य पंडित या ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।