नवरात्रि स्पेशल : महागौरी दिलाती है पापों से मुक्ति, जानें पूजन की पूर्ण-विधि

आज नवरात्रि के त्योहार का आठवां दिन हैं, जिसमें माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप का पूजन किया जाता हैं। इनकी पूजा करने से भक्तों के सभी पापों का नाश हो जाता हैं और सभी दुख दूर होते हैं। माँ महागौरी शुभ फलदायनी कहलाती हैं। आज सभी भक्तगण मंदिरों के साथ ही अपने घरों में भी मातारानी की पूजा करते हैं। इसलिए आज हम आपके लिए महागौरी पूजन की पूर्ण विधि लेकर आए हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में।

* पूजा विधि

अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं। सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें और यंत्र की स्थापना करें। मां सौंदर्य प्रदान करने वाली हैं। हाथ में श्वेत पुष्प लेकर मां का ध्यान करें।
अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए नहीं तो 2 कन्याओं की पूजा करें। कन्याओं की आयु 2 साल से ऊपर और 10 साल से अधिक न हो। भोजन कराने के बाद कन्याओं को दक्षिणा देनी चाहिए।

* ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्। वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्। मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्। कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

* स्तोत्र पाठ

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्। ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्। डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्। वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥