नवरात्रि स्पेशल : मातारानी के नौ स्वरूपों को लगाएं उनकी पसंद का भोग, बनेंगे आपके सभी काम

आज 13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रही हैं और आने वाले अगले नौ दिन मातारानी का पर्व मनाया जाएगा। इन नौ दिनों में माता के विभिन्न स्वरूपों का पूजन कर उनका आशीर्वाद ग्रहण किया जाता हैं। हर दिन मातारानी को विशेष व्यंजनों का भोग लगाया जाता हैं। लेकिन माता का पसंदीदा भोग लगाया जाए तो माता जल्दी प्रसन्न होती हैं और आपके सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। जी हां, मातारानी को लगा भोग आपके जीवन की सभी परेशानियों का अंत कर सकता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि मां के नौ रूपों को कौन-सा भोग लगाना चाहिए।

पहला दिन मां शैलपुत्री

नवदुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री को पीला रंग अतिप्रित है इसलिए उन्हें पीला प्रसाद जैसे बेसन की बर्फी, मीठे चावल आदि चढ़ाए। मान्यता है कि मां को गाय के घी से बनी मिठाई अर्पित करने से व्यक्ति रोगमुक्त रहता है।

दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी

दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जिन्हें शक्कर का भोग लगाना चाहिए। लंबी उम्र के लिए मां को मिश्री, चीनी और पंचामृत का प्रसाद भी चढ़ा सकते हैं।

तीसरा दिन मां चन्द्रघंटा

माता चंद्रघंटा को दूध या उससे बनी चीजें जैसे बर्फी, खीर आदि का भोग लगाएं। मान्यता है कि इससे उपवासक को दु:खों से मुक्ति मिलती है।

चौथा दिन मां कूष्मांडा

मान्यता के अनुसार, देवी दुर्गा के चौथे रूप मां कूष्मांडा को पूजा करने के बाद मालपुओं का भोग लगाना चाहिए। इससे बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।

पांचवा दिन मां स्कंदमाता

माता स्कंदमाता को कुमार कार्तिकेय की माता भी माना जाता है। पूजा के बाद उन्हें केले का भोग लगाएं। इससे शरीर स्वस्थ रहता है।

छठा दिन मां कात्यायनी

माता कात्यायनी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं, जिन्हें शहद का भोग लगाना चाहिए। इससे उपासक को आकर्षक व्यक्तित्व मिलता है।

सातवां दिन मां कालरात्रि

बुरी शक्तियों का नाश करने वाली मां कालरात्रि को गुड़ का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। इससे उपासक के सभी संकट दूर होंगे और वो कष्ट मुक्त भी रहेगा।

आठवां दिन मां महागौरी

माता के 8वें स्वरूप महागौरी का यह नाम गोरे रंग के कारण पड़ा। माता को नारियल का भोग लगाने से संतान प्राप्ति होती है। इस दिन ब्राह्मण को नारियल दान देने की भी प्रथा है।

नौवां दिन मां सिद्धिदात्री

सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली मां सिद्धिदात्री को नवमी कंजन पूजन और आराधना करने के बाद माता को तिल, हलवा, काले चने-पूरी, खीर का भोग लगाएं। इससे उपासक की सभी मनोकमानाएं पूर्ण होती है।