नवरात्रि का पावन पर्व जारी हैं जो कि 17 अक्टूबर से शुरू हुआ हैं और 25 अक्टूबर तक जारी रहने वाला हैं। इन नौ दिनों में मातारानी के विभिन्न स्वरूपों का पूजन किया जाता हैं। आज नवरात्रि का चौथा दिन हैं जिसमें मातारानी के कुष्मांडा स्वरुप का पूजन किया जाता हैं। मातारानी को प्रसन्न करने के लिए पूजा में कई चीजों को शामिल किया जाता हैं जिसमें से एक हैं पान। प्रत्येक शुभ कार्य से पहले पान के पत्ते से देवी-देवताओं को नमन किया जाता है। आज इस कड़ी में हम आपको पान के पत्ते के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों माता के पूजन में पान का पत्ता इतना महत्व रखता हैं।
देवी ने पान खाकर किया था महिष्सासुर का अंत
देवी भागवत, मार्कण्डेय और स्कंद पुराण में देवी कात्यायनी की कथा मिलती है। पुराणों में बताया गया है कि ऋषि कात्यायन माता के भक्त थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। इन्होंने माता की तपस्या की और उनसे वरदान मांगा की आप मुझे पुत्री रूप में प्राप्त हों। इस बीच महिषासुर का अत्याचार बढ़ता जा रहा था। उसने देवताओं को स्वर्ग से भगा दिया था। देवताओं के क्रोध से एक तेज प्रकट हुआ जो कन्या रूप में था। उस तेज ने ऋषि कात्यायन के घर पुत्री रूप में जन्म लिया। ऋषि जानते थे कि माता ही वरदान के कारण पुत्री रूप में उनके घर प्रकट हुई हैं। ऋषि ने देवी की प्रथम पूजा की और वह देवी कात्यायन ऋषि की पुत्री होने के कारण कात्यायनी कहलाईं। देवी कात्यायनी के प्रकट होने का मूल उद्देश्य महिषासुर का अंत था। आश्विन शुक्ल नवमी तिथि के दिन ऋषि द्वारा पूजित होने के बाद देवी ने कहा कि उनका प्राकट्य महिषासुर का अंत करने के लिए हुआ है। इसके बाद देवी ने नवमी और दशमी तिथि को महिषासुर से युद्ध किया। दशमी तिथि के दिन देवी ने शहद से भरे पान को खाकर महिषासुर का वध कर दिया। इसके बाद देवी कात्यायनी महिषासुर मर्दनी भी कहलायीं।
देवी मां को पान में अर्पण करें ये चीजें
पूजन में पान का पत्ता रखना अत्यंत शुभ होता है, ध्यान रखें पान के पत्ते के साथ इलाइची, लौंग, गुलकंद आदि भी चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि पूरा बना हुआ पान चढ़ाया जाए तो मातारानी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और जातक के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार पान के पत्ते में विभिन्न देवी-देवताओं का वास है। जी हां, इस एक पत्ते में ब्रह्मांड के देवी-देवता वास करते हैं। इसीलिए देवी भगवती की पूजा में पान जरूर चढ़ाना चाहिए।
ऐसे चुनें पूजा में अर्पण किया जाने वाला पान
केवल एक ही पत्ते में संसार के सम्पूर्ण देवी-देवताओं का वास होने के कारण इसे पूजा सामग्री में इस्तेमाल किया जाता है। किंतु पूजा सामग्री के लिए पान के पत्ते का चयन करने के लिए व्यक्ति को बेहद सावधान रहना चाहिए। मान्यता के अनुसार छिद्रों से भरपूर, सूखा हुआ एवं मध्य हिस्से से फटा हुआ पान का पत्ता सामग्री के लिए कभी भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पान का पत्ता हमेशा सही सलामत रूप में, चमकदार एवं कहीं से भी सूखा नहीं होना चाहिए। नहीं तो इससे व्यक्ति की पूजा साकार नहीं होती।
दक्षिण भारतीय मां को ऐसे अर्पित करते हैं पान
दक्षिण भारत में तो पान के पत्ते के बीच पान का बीज एवं साथ ही एक रुपये का सिक्का रखकर भगवान को चढ़ाया जाता है। यहां किसी भी शुभ कार्य में भगवान से प्रार्थना करते समय पत्ते के भीतर पान का बीज तथा एक रुपये का सिक्का रखा जाता है।
कन्याओं को खिलाएं पान होगा अत्यंत धन लाभ
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक अगर किसी को बार-बार बिजनस में नुकसान हो रहा हो तो देवी भगवती को पान का बीड़ा चढ़ाएं। इसके लिए किसी मंदिर में या घर पर ही सुबह-सवेरे नित्यकर्मों से निवृत्त होकर मां दुर्गा को प्रणाम करें और पान का बीड़ा अर्पित करें। इसके साथ मां को अपनी जिम्मेदारियों और समस्याओं का बीड़ा सौंप दें। प्रार्थना करें कि अब वह जो भी आपके लिए उचित हो वह करें। लेकिन कभी भी किसी का बुरा नहीं सोचें। मन में हमेशा ही पवित्र भावना रखें। इसके बाद 9 कन्याओं को एक-एक मीठे पान का बीड़ा खिलाएं।