Navratri 2020 : इस मुहूर्त पर करें घटस्थापना, जानें पूर्ण पूजा विधि

आज बुधवार, 25 मार्च को चैत्र नवरात्रि हैं और आज से ही नववर्ष की शुरुआत होती हैं। आज के दिन सभी भक्तगण मातारानी के इस पावन पर्व पर कलश स्थापना करते हैं और कलश स्थापना के साथ ही नवरात्र आरंभ हो जाता है। आज घटस्‍थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:10 बजे से सुबह 10:20 बजे तक रहेगा जिसकी कुल अवधि 4 घंटे 9 मिनट की है। इस वर्ष अभिजीत मुहूर्त (11:58 से 12:49) है, जो ज्योतिष शास्त्र में स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है, परंतु मिथुन लग्न में पड़ रहा है अत: इस लग्न में पूजा तथा कलश स्थापना शुभ होगा। आइये जानते हैं घटस्थापना की पूर्ण विधि के बारे में।

- घटस्‍थापना के स्‍थान को शुद्ध जल से साफ करके गंगा जल का छिड़काव करें, फिर अष्टदल बनाएं। उसके ऊपर एक लकड़ी का पाटा रखें और उस पर लाल रंग का वस्‍त्र बिछाएं। लाल वस्‍त्र के ऊपर अंकित चित्र की तरह 5 स्‍थान पर थोड़े-थोड़े चावल रखें
- जिन पर क्रमश: गणेशजी, मातृका, लोकपाल, नवग्रह तथा वरुण देव को स्‍थान दें।
- सर्वप्रथम थोड़े चावल रखकर गणेशजी का स्मरण करते हुए स्‍थान ग्रहण करने का आग्रह करें।
- इसके बाद मातृका, लोकपाल, नवग्रह और वरुण देव को स्‍थापित करें और स्‍थान लेने का आह्वान करें। फिर गंगा जल से सभी को स्नान कराएं।

- स्नान के बाद 3 बार कलावा लपेटकर प्रत्येक देव को वस्‍त्र के रूप में अर्पित करें। अब हाथ जोड़कर देवों का आह्वान करें।
- देवों को स्‍थान देने के बाद अब आप अपने कलश के अनुसार जौ मिली मिट्टी बिछाएं।
- कलश में जल भरें। अब कलश में थोड़ा और गंगा जल डालते हुए 'ॐ वरुणाय नम:' मंत्र पढ़ें और कलश को पूर्ण रूप से भर दें।
- इसके बाद आम की टहनी (पल्लव) डालें। जौ या कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें।
- फिर लाल कपड़े से लिपटा हुआ कच्‍चा नारियल कलश पर रख कलश को माथे के समीप लाएं और वरुण देवता को प्रणाम करते हुए रेत पर कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर रोली से 'ॐ' या 'स्वास्तिक' लिखें।
- मां भगवती का ध्यान करते हुए अब आप मां भगवती की तस्वीर या मूर्ति को स्‍थान दें। 1 नंबर पर थोड़े से चावल डालें।
- दुर्गा मां की षोडशोपचार विधि से पूजा करें। अब यदि सामान्य दीप अर्पित करना चाहते हैं, तो दीपक प्रज्वलित करें। यदि आप अखंड दीप अर्पित करना चाहते हैं, तो सूर्यदेव का ध्यान करते हुए उन्हें अखंड ज्योति का गवाह रहने का निवेदन करते हुए जोत को प्रज्वलित करें। यह ज्योति पूरे 9 दिनों तक जलती रहनी चाहिए। इसके बाद पुष्प लेकर मन में ही संकल्प लें कि मां मैं आज नवरात्र की प्रतिपदा से आपकी आराधना अमुक कार्य के लिए कर रहा/रही हूं और मेरी पूजा स्वीकार करके ईष्ट कार्य को सिद्ध करो।
- पूजा के समय यदि आपको कोई भी मंत्र नहीं आता हो, तो केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' से सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। मां शक्ति का यह मंत्र अमोघ है। आपके पास जो भी यथासंभव सामग्री हो, उसी से आराधना करें।
- संभव हो तो श्रृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरूर चढ़ाएं।