नवग्रह शांति के लिए किये जाने वाले उपाय

ज्योतिष की मानें तो हर कोई किसी न किसी ग्रह दोष से ग्रस्त रहता है। कई बार उसे पता नहीं चलता कि किस वजह से उसकी जिंदगी में तूफान थमने का नाम नहीं ले रही। किस वजह से जीना मुहाल हो रहा है। कुंडली में स्थित नौ ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के पूरे जीवन पर देखा जा सकता है। जन्म कुंडली के 12 घरों में स्थित नौ ग्रहों की अच्छी-बुरी पोजीशन का असर जीवन पर होता ही है। नव ग्रह कि शांति के लिए अनेक प्रकार के उपाय है लेकिन जिस तरह से नव ग्रह अलग है उसी प्रकार से उनको शांत करने के उपाय भी अलग अलग ही होते है। नवग्रहों के दुष्प्रभाव को शांत करने के लिए भी कई उपाय ज्योतिष में बताए गए हैं जिनका विधि-विधान से पालन करें तो अवश्य लाभ मिलता है। आइये जानते हैं ज्योतिष में बताये गए नवग्रह की शांति के लिए किये जाने वाले उपायों के बारे में।

* सूर्य की शांति के लिए रविवार का व्रत करे। बहते पानी में गुड, ताम्बा या ताम्बे का सिक्का बहाए। हरीपूजन या हरीवंश पुराण का पाठ करे। विष्णु की नियमित उपासना करे। ताम्बा व गेहू का दान करे। माणिक्य अथवा ताम्बा धारण करे। कुकर्म और गलत काम से बचे। घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में रखे। प्रत्येक काम मीठा खाकर और पानी पीकर करे। नमक का उपयोग कम से कम करे। सूर्योदय से पूर्व उठे।

* चंद्रदेव शांति के लिए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें। पानी वाला नारियल, सफेद चंदन तथा चांदी का चंद्रमा, विल्बपत्र, सफेद मिष्ठान्न का भगवान शंकर को भोग लगाएं। सोमवार का व्रत करें तथा सफेद वस्त्र का दान करें, पहाड़ों की यात्रा करें तथा स्वमाता के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।

* मंगल ग्रह की शांति हेतु बीज मंत्र - ॐ हृं श्रीं भौमाय नमः। जप मंत्र – ॐ भौं भौमाय नमः। तांत्रिक मंत्र – ॐ क्रां क्रीं क्रौं सं: भौमाय नमः। ध्यान मंत्र - रक्तमाल्याम्बरधरं हेमरूपं चतुर्भुजम्। शक्तिशूलगदापन् धरन्तं स्वकारां बुजैः। मंगल ग्रह का गायत्री मंत्र – ॐ अंगारकाय विहे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्। इसकी जप संख्या 10000 है।

* बुध ग्रह की शांति हेतु मां दुर्गा की आराधना करें। ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का 5 माला जाप करें। देवी के सामने अखंड घी का दीया जलायें। घर की पूर्व दिशा में लाल झंडा लगायें। सोने के आभूषण धारण करें, हरे रंग से परहेज करें। खाली बर्तनों को ढ़ककर न रखें। चौड़े पत्ते वाले पौधे घर में लगायें, मुख्य द्वार पंचपल्लव का तोरण लगायें। 100 ग्रíम चावल, चने की दाल बहते जल में प्रवाहित करें।