नवरात्रि स्पेशल : माँ कात्यायनी देती है अलौकिक तेज का आशीर्वाद, जानें पूर्ण पूजन विधि

नवरात्रि का छठा दिन माँ दुर्गा के कात्यायनी स्वरुप को समर्पित हैं। माता कात्यायनी की सेवा करने से जातक अलौकिक तेज का स्वामी बनता हैं और उसके संताप, भय और रोगों का नाश होता हैं। इसलिए सभी भक्तगण आज के दिन माँ कात्यायनी को प्रसन्न करने में लगे रहते हैं। अगर आप भी अपने घर पर माँ कात्यायनी का पूजन करना चाहते हैं, तो आज हम आपको इसकी पूर्ण पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

* पूजा विधि

सर्वप्रथम कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करें फिर माता के परिवार में शामिल देवी देवता की पूजा करें। इनकी पूजा के पश्चात देवी कात्यायनी जी की पूजा कि जाती है। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान किया जाता है।

देवी की पूजा के पश्चात महादेव और परम पिता की पूजा करनी चाहिए। श्री हरि की पूजा देवी लक्ष्मी के साथ ही करनी चाहिए। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यन्त दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है। यह अपनी प्रिय सवारी सिंह पर विराजमान रहती हैं। इनकी चार भुजायें भक्तों को वरदान देती हैं, इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है, तो दूसरा हाथ वरदमुद्रा में है अन्य हाथों में तलवार तथा कमल का फूल है।

* ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्वनीम्॥
स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्। वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालंकार भूषिताम्। मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पञ्वाधरां कांतकपोला तुंग कुचाम्। कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम॥

* स्तोत्र पाठ

कंचनाभा वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकार भूषितां। सिंहस्थितां पदमहस्तां कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
परमांवदमयी देवि परब्रह्म परमात्मा। परमशक्ति, परमभक्ति,कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥