नवरात्रि स्पेशल : पूजन में कन्या की संख्या अनुसार मिलता है फल, जानें इससे जुडी ख़ास बातें

आज नवरात्रि का आठवां दिन है और अब नवरात्रि के त्योहार को समाप्त होने में बस दौ दिन ही बचे हैं। इन दौ दिनों में सभी भक्तगण माता की कृपा पाने के लिए कन्या पूजन करते हैं और नौ कन्याओं को भोजन करवाकर भेंट दी जाती हैं। क्या आप जानते है कि पूजन में कन्या की संख्या के अनुसार फल मिलता है। जी हाँ, आज हम आपको बताने जा रहे है कि किस तरह से अगर नौ कन्याओं से कम हो, तो इसका क्या प्रभाव पड़ता हैं। आइये जानते हैं कन्या पूजन से जुडी ख़ास बातें।

धर्म ग्रंथों में 3 वर्ष से लेकर 9 वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती हैं। 1 कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, 2 की पूजा से भोग और मोक्ष, 3 की पूजा करने से अर्चना से धर्म, अर्थ एवं काम, चार की पूजा से राज्यपद, 5 कन्याओं की पूजा करने से विद्या, 6 कन्याओं की पूजा से 6 प्रकार की सिद्धि, 7 कन्याओं की पूजा से राज्य, 8 कन्याओं की पूजा से संपदा और 9 कन्याओं की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।

कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्टमी के दिन कन्या पूजन श्रेष्ठ रहता है। कन्याओं की आयु 10 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। शास्त्रों में 2 साल की कन्या कुमारी, 3 साल की त्रिमूर्ति, 4 साल की कल्याणी, 5 साल की रोहिणी, 6 साल की कालिका, 7 साल की चंडिका, 8 साल की शांभवी, 9 साल की दुर्गा और 10 साल की कन्या सुभद्रा मानी जाती हैं। भोजन कराने के बाद कन्याओं को दक्षिणा देनी चाहिए। इस प्रकार महामाया भगवती प्रसन्न होकर मनोरथ पूर्ण करती हैं।