नवरात्रि 2020 : आज होनी हैं मां कात्यायनी की पूजा, जानें इसकी पूजन विधि और महत्व

नवरात्रि के इस पावन पर्व का आज छठा दिन हैं जो कि मातारानी के कात्यायनी स्वरुप के लिए जाना जाता हैं। महिषासुर का वध करने वाली देवी मां कात्यायनी ही थी जिनका पूजन कर सभी आशीर्वाद प्राप्त करने की चाहत रखते हैं। मां कात्यायनी की उपासना से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती हैं। आज इस कड़ी में हम आपके लिए मां कात्यायनी के स्वरुप के बारे में बताते हुए उनके पूजन से जुड़ी जानकरी देने जा रहे हैं। माता कात्यायनी की उपासना से साधक इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं।

ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं देवी कात्‍यायनी

माता अपने भक्तों के प्रति अति उदार भाव रखती हैं और हर हाल में भक्तों की कामना पूरी करती हैं। देवी कात्यायनी का स्वरूप इसी बात को प्रकट करता है। माता के अनन्य भक्त थे ऋषि कात्यायन। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माता ने इनके घर पुत्री रूप में प्रकट होने का वरदान दिया। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण देवी कात्यायनी कहलाईं।

मर्यादा पुरुषोत्‍तम और मुरलीधर ने भी की थी पूजा

कथा म‍िलती है क‍ि मर्यादा पुरुषोत्‍तम श्रीराम और श्रीकृष्ण ने भी देवी के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की थी। ब्रजमंडल की गोपियों ने तो भगवान श्रीकृष्ण को पति स्वरूप में पाने के लिए इनकी पूजा की थी। मां कात्यायनी ने ऋषि कात्यायन से कहा था कि वह उनकी पुत्री के रूप में जानी जाएंगी लेकिन उनके प्राकट्य का मूल उद्देश्य सृष्टि में धर्म को बनाए रखना है और इसके लिए महिषासुर का अंत जरूरी है। देवी ने महिषासुर का अंत करके जगत को अभय प्रदान किया।

देवी कात्‍यायनी का है ऐसा मनोहर है रूप

दिल्ली के छतरपुर स्थित देवी मंदिर कात्यायनी देवी पीठ के नाम से प्रसिद्ध है। मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं एक हाथ में माता के खड्ग है तो दूसरे में कमल पुष्प। अन्य दो हाथों से माता वर मुद्र और अभय मुद्रा में भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं। माता का यह स्वरूप अत्यंत दयालु और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाला है।

जानें माता की पूजन व‍िध‍ि और भोग

देवी कात्यायनी की पूजा करते समय मंत्र ‘कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते।’ का जप करें। इसके बाद पूजा में गंगाजल, कलावा, नारियल, कलश, चावल, रोली, चुन्‍नी, अगरबत्ती, शहद, धूप, दीप और घी का प्रयोग करना चाहिए। माता की पूजा करने के बाद ध्यान पूर्वक पद्मासन में बैठकर देवी के इस मंत्र का मनोयोग से यथा संभव जप करना चाहिए। इस तरह माता की पूजा करना बड़ा ही फलदायी माना गया है।

मातारानी को प्रिय है यह वस्‍तु जरूर करें प्रयोग

नवरात्रि के षष्ठी तिथि के दिन देवी की पूजा में शहद यानी मधु का काफी महत्व बताया गया है। इस दिन माता के प्रसाद में मधु का प्रयोग करना चाहिए। पान में शहद मिलाकर माता को भेंट करना उत्तम फलदायी होता है। माता को मालपुआ का भोग भी प्रिय है। इनकी पूजा से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है। यह देवी विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करती हैं।