नागपंचमी का त्योंहार हमारे देश का एक विशेष त्योंहार हैं, जिसमें नागदेवता की पूजा की जाती हैं। नागदेवता भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं और साँपों के काटने के भय से मुक्त करते हैं। इस दिन की गई पूजा से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं। इस दिन विशेष पूजन के साथ रुद्राभिषेक करने का भी महत्व होता है। नाग पंचमी की तिथि 15 अगस्त को प्रातः 03 बजकर 27 मिनट से प्रारंभ होकर 16 अगस्त को दिन में 01 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी। इसमें नाग को दूध पिलाया जाता हैं। लेकिन क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं, आइये हम बताते हैं नागपंचमी का महत्व और नाग को दूध पिलाने का कारण।
* नाग पूजा का महत्व :
जैसा कि सभी जानते हैं कि भगवान विष्णु शेष नाग पर शयन करते हैं वहीं, शिव जी के गले में भी नाग सुशोभित है। समुद्र मंथन में नाग वासुकी का प्रयोग है। इस प्रकार नाग पूजा का महत्व सनातन धर्म में और भी बढ़ जाता है। नाग पंचमी के दिन नाग पूजन के साथ-साथ शिव उपासना की जाती है ताकि वो शिव के द्वारा नियंत्रित रहे।
* क्यों पिलाया जाता है नाग को दूध :
दूध चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। यहां तक कि भगवान शिव के मस्तक पर भी चंद्रमा विराजमान है। चंद्रमा मन का कारक ग्रह होता है। मन को शिव के प्रति समर्पण के उद्देश्य से भी दूध उनके सेवक और गले में विराजमान नाग देवता को पिलाया जाता है। नाग पृथ्वी को संतुलित करते हैं और साथ ही विषधारी भी माने जाते हैं, तो ऐसे में प्रश्न उठता है कि उन्हें दूध क्यों पिलाया जाता